-द प्रिंट, क्या हमारा दिमाग खराब हो गया है कि हम अपने देश को ‘राष्ट्रीय शक्की देश’ कह रहे हैं? अब आप गूगल में सर्च करने लगेंगे तो यह जुमला कहीं नहीं मिलेगा. यह वैसा मामला नहीं है जैसा हम पाकिस्तान और चीन को ‘नेशनल सिक्यूरिटी स्टेट’ (राष्ट्रीय सुरक्षित राज्य) कहते हैं, जहां क्रमशः फौज और पार्टी न केवल देश की सीमाओं की निगरानी करती है बल्कि राज्यतंत्र और नागरिकों की...
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देश के 67 फीसदी हथकरघा कामगारों की आमदनी 5,000 रुपए महीने से कम: सरकार
-डाउन टू अर्थ, चौथी अखिल भारतीय हथकरघा गणना 2019-20 के अनुसार देश में हथकरघा कारीगर परिवारों की संख्या 31,44,839 है। इनमें से लगभग 67.1 फीसदी परिवारों की आमदनी 5,000 रुपए प्रति माह से भी है, जबकि 26 फीसदी परिवार 5 से 10 हजार रुपए महीना कमा रहे हैं। 10 से 15 हजार रुपए महीना कमाने वाले परिवारों की संख्या 4.5 फीसदी है और 15 से 20 हजार रुपए महीना कमाने वाले परिवारों...
More »2020 में हम भारतीयों को 1920 के इटली को जानने की जरूरत क्यों है?
-सत्याग्रह, मैं जीवनियां खूब पढ़ता हूं. इनमें बहुत सी विदेशी हस्तियों की होती हैं जो उनके देश, काल और परिस्थितियों के बारे में बताती हैं. हाल ही में मैंने कनाडाई विद्वान फाबियो फर्नांडो रिजी की किताब ‘बेनेडेट्टो क्रोसे एंड इटैलियन फासिज्म’ खत्म की है. इस किताब में एक महान दार्शनिक की जीवनी के सहारे उस दौर की एक बड़ी सच्चाई बताई गई है. रिजी की किताब पढ़ने के बाद मुझे 1920 के...
More »अलविदा, कपिला वात्स्यायन
-सत्यहिंदी, अक्सर वे दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में दिख जाती थीं। एक दुबली-छरहरी, गोरी, तेज़ क़दमों से चलती हुई काया, जिन्हें देख कर यह नहीं लगता था कि वे प्राचीन इतिहास, कला-शिल्प और शास्त्रीय नृत्य-रूपों की विदुषी होने के अलावा संस्कृति के क्षेत्र में बड़ी हैसियत रखने वाली महिला भी हैं। कपिला वात्स्यायन ( जन्म: 25 दिसंबर 1928; निधन: 16 सितम्बर 2020) शायद पुपुल जयकर के बाद दूसरी ऐसी हस्ती थीं...
More »मानसून सत्रः बड़ा संकट, छोटी चर्चा
-इंडिया टूडे, बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्य में चुनाव के साथ 40 विधानसभा और लोकसभा उप-चुनाव होने हैं. इससे ठीक पहले केंद्र सरकार चरमराई अर्थव्यवस्था, चीन के अतिक्रमण, कोरोना की वजह से मजदूरों के पलायन, किसानों का आंदोलन, छात्रों की समस्या, फेसबुक हेट स्पीच मामला जैसे तमाम सियासी मुद्दों से घिरी हुई है. लेकिन सरकार संसद में इन मुद्दों पर कम से कम चर्चा की जुगत में लग गई है. मौजूदा सत्र...
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