मनुष्य के जातीय गुणों पर चिंतन करनेवाले विद्वानों का मानना है कि सोचने की क्षमता मनुष्य को अन्य जीवों से अलग करता है. सोचने की क्षमता के कारण मनुष्य ज्ञान-विज्ञान का विकास कर पाता है. जब हम कहते हैं कि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध आधिकार है, तो इसका मतलब होता है कि सोचने की स्वतंत्रता हमारा मानवाधिकार है. ऐसे में यदि कोई सरकार या समाज मनुष्य के सोचने पर पहरा लगाना...
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नोटबंदी: अर्थशास्त्री ने तंज मारते हुए लिखा- दूसरे देश ले सकते हैं ये चार सबक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले साल लागू की गयी नोटबंदी के पक्ष-विपक्ष में बहसों का दौर अभी थमा नहीं है। पीएम मोदी ने आठ नवंबर 2016 को तत्काल प्रभाव से उसी रात 12 बजे से 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर अमेरिका के टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री भास्कर चक्रवर्ती ने हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू में मोदी...
More »मजदूरी का पहिया -- जयराम शुक्ल
कुछ दिन पहले अपने मध्यप्रदेश के ओरछा से जाते हुए पन्ना से गुजरना हुआ। रास्ते में सामने से आती हुई एक के बाद एक बसों को देखकर चौंका। चौंकने की वजह थी, किसी में गुनौर से गुड़गांव तो किसी में पवई से रोहतक लिखा था। कई और बसों से भी वास्ता पड़ा, जिनमें हरियाणा और पंजाब के शहरों के नाम लिखे थे। पहले तो खयाल आया कि संभव है ये...
More »बाघ तो बच रहे हैं...पर बेटियां!! - मृणाल पांडे
खबर है कि गए सालों में हमारे देश में बाघों की तादाद बढ़ी है, लेकिन खबर यह भी है कि इस दौरान 0 से 6 साल की उम्र की बच्चियों की तादाद तेजी से घटी है। बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है और आरक्षित श्रेणी में आता है। पर उसकी खाल, हड्डी, दिल, गुर्दा सबको एशियाई बाजारों में भारी मुनाफे पर बेचा जा सकता है इसलिए पिछले सालों में लालची तस्करों...
More »देश में गैरबराबरी और भूख -- डॉ अनुज लुगुन
कुछ ही दिन पहले झारखंड के सिमडेगा जिले में संतोषी नाम की बच्ची की भूख से हुई मृत्यु कई बड़े-बड़े राजनीतिक दावों को झुठलाती है. हालांकि, मलेरिया और भूख के कारणों के बीच ही पूरा मुद्दा केंद्रित हो गया. लेकिन, यह बदलते समय में बुनियादी जरूरतों की पहुंच व उपलब्धता पर एक बड़ा सवाल है. सिमडेगा झारखंड के दक्षिणी हिस्से में उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की सीमा पर जंगलों से...
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