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खेती ने भी किया वातावरण प्रदूषित

लुधियाना। बेशक वाहनों के धूएं और इंडस्ट्री को पर्यावरण प्रदूषित करने के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार ठहराया जाता हो लेकिन खेती भी प्रदूषण बढ़ाने में पीछे नहीं है। जंगलो की कटाई एवं भूमि का खेती के लिए उपयोग बीते डेढ़ दशक में पर्यावरण प्रदूषित करने का बड़ा कारण बना है। विकासशील देशों का हिस्सा इसमें ज्यादा है। कुछ ऐसी ही चीजों पर विचार किया पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू) में पहुंचे वैज्ञानिकों ने।...

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बच के रहना रे बाबा! दूध में जहर है

अहमदाबाद। देश के सबसे प्रतिष्ठित खानपान ब्रांडों में शामिल "अमूल" के दूध के अहमदाबाद के नमूनों में खासे नुकसानदेह माने जाने वाले कीटनाशक क्लोरपाइरिफोस के अवशेषों की मात्रा स्वीकार्य सीमा से कई गुना ज्यादा पाई गई है। यह मात्रा देश भर में सर्वाधिक है। यह खुलासा देश की शीर्ष संस्थाओं में शुमार किए जाने वाली नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल हैल्थ (एनआईओएच), अहमदाबाद के विश्लेषण मे हुआ है। यह देश भर में...

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आपके गांव,शहर की कितनी आबादी, जानिए ऑनलाइन

भोपाल. मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य होने जा रहा हैं, जहां जनगणना के आंकड़ों को गांव व कस्बों के स्तर तक ऑनलाइन मुहैया कराया जाएगा। यही नहीं ग्राफ, टेबल, मैप व गूगल सेटेलाइट इमेज के जरिए इन आंकड़ों का ऑनलाइन विश्लेषण कर गरीबी,साक्षरता,रोजगार,जनसंख्या घनत्व व विकलांगता आदि की स्थिति भी जानी जा सकेगी। यदि आप चाहें तो इसमें उपलब्ध सॉफ्टवेयर के माध्यम से आटोमैटिक पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन, वीडियो या...

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सब्जी की खरीददारी अब प्री-पेड कार्ड के जरिए

लखनऊ,उत्तर प्रदेश की राजधानी में मोबाइल फोन की प्री-पेड बाउचर सेवा की तरह प्री-पेड कार्ड के जरिए हरी-ताजी सब्जियां खरीदने की सेवा जल्द ही शुरू होने वाली है। इसका बीड़ा उठाया है कि अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के पूर्व छात्र कौशलेंद्र ने, जिनकी फाइबर ठेले पर ताजा सब्जी बेचने की परियोजना बिहार में बेहद लोकप्रिय हो चुकी है। कौशलेंद्र ने पटना की तरह लखनऊ वासियों के लिए गुरुवार को यहां इस...

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मनरेगा - पांच साल दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना के

बहुत थोड़ी होती है पांच साल की अवधि फिर भी नरेगा की उपलब्धियां आवाक कर रही हैं। देश के सर्वाधिक गरीब में शुमार लोगों में से तकरीबन दस करोड़ ने बैंक या फिर पोस्ट-ऑफिस में बैंक अकाऊंट खोले हैं, लोग अपना अधिकार समझकर काम मांग रहे हैं, हजारों गांवों में कुएं-तालाब और ऐसे ही सामुदायिक इस्तेमाल के कई संसाधन तैयार हो रहे हैं, औरत हो या मर्द- दोनों को बराबर के काम के लिए बराबर की...

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