भाजपा की राष्ट्रीय परिषद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में विकसित देशों के दबाव के आगे नहीं झुकने के अपने निर्णय को जायज ठहराया। उनका तर्क था कि हम खाद्यान्न सबसिडी में ज्यादा कटौती करते हुए देश के लाखों छोटे किसानों की आजीविका को जोखिम में नहीं डाल सकते थे। उनकी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मोदी के इस विचार का पुरजोर स्वागत किया। जहां तक...
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किसके पास हो नियुक्ति का अधिकार- सुधांशु रंजन
उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति को लेकर चल रहा विवाद निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है. न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए 1993 से चल रही वर्तमान कोलेजियम व्यवस्था को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार ने 11 अगस्त को लोकसभा में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक पेश किया. इसमें 6 सदस्यों के एक आयोग के गठन का प्रस्ताव है, जो न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए नामों की अनुशंसा...
More »आप भी शुरू करें अपना रेडियो स्टेशन- आर के नीरद
मित्रों, पिछले अंक में हमने बात कि कैसे आप भी अपना अखबार निकाल सकते हैं और उसके जरिये गांव-पंचायत में बदलाव ला सकते हैं. इस अंक में हम बात कर रहे हैं सामुदायिक रेडियो की. आप जानते हैं कि जब गांवों में अखबार नहीं पहुंचा था, तब रेडियो ही लोगों के मनोरंजन, ज्ञान और सूचना का बड़ा माध्यम था. आज भी वहां रेडियो के कार्यक्रम और समाचार सुने जाते हैं,...
More »केदली गांव, जिसे कोसी ने नौ बार उजाड़ा- पुष्यमित्र
केदली पंचायत के कुमर यादव ब्योरा देते हुए बताते हैं कि 1981 तक हमारी जिंदगी सामान्य र्ढे पर चल रही थी. हां, कोसी तटबंध के अंदर रहने की परेशानी जो दूसरे गांव के लोगों को होती थी, वह हमें भी होती थी. मगर उस साल अचानक कोसी नदी हमारे गांव के पास आकर बहने लगी और धीरे-धीरे गांव पर हमलावर होने लगी. 1983 में नदी ने हमारे गांव को पूरी...
More »बांध लील गए जमीन, चार दशक बाद भी किसानों को मुआवजा नहीं
जिया कुरैशी, रायपुर। आजादी के छह दशक बाद भी लोगों के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया कितनी जटिल बनी हुई है, इसका अंदाजा छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के किसानों के एक मामले को देखकर लगाया जा सकता है। कोई चार दशक पहले धमधा तहसील में सूखा और अकाल पीड़ितों की मदद के इरादे से राहत कार्य के तहत बांध बनाए गए थे। यह काम शुरू हुआ और बांध भी बन गए, लेकिन...
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