खादी का बिना प्रेस किया हुआ कुर्ता-पाजामा और पैरों में साधारण स्पोर्ट्स शू पहने 58 वर्षीय डॉक्टर बिनायक सेन को देखकर अक्सर उनके समूचे व्यक्तित्व का पता नहीं चल पाता. जेल में दो बरस रहने से पहले तक समय पहले तक उनकी लंबी दाढ़ी हुआ करती थी और लोग उन्हें सीधे-सादे सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में जानते थे तो कुछ एक बौद्धिक चिंतक के रुप में. लेकिन अब पुलिस उन्हें नक्सलियों का...
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बिनायक सेन पर फ़ैसला वाहियात: पीयूसीएल
बिनायक सेन को देशद्रोह के आरोप में उम्रक़ैद की सज़ा सुनाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है. पीयूसीएल के प्रमुख और दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्यन्यायाधीश राजेंद्र सच्चर ने इस फ़ैसले को वाहियात बताते हुए कहा है कि जिस क़ानून के तहत उन्हें सज़ा सुनाई गई है वही ग़ैरक़ानूनी है. जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस फ़ैसले को अन्यायपूर्ण बताया है. कांग्रेस ने इस फ़ैसले पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा...
More »सूबे में चरम पर है मानवाधिकार हनन
रांची। झारखंड में मानवाधिकार का हनन चरम पर है। प्रदेश में लोग भूख से मर रहे है। जब सरकार की ओर से जांच होती है,तो रिपोर्ट में आता है कि उस व्यक्ति की मौत किसी अज्ञात बीमारी से हुई है। यह बातें ह्यूमन राइट लॉ नेटवर्क झारखंड यूनिट के निदेशक योगेन्द्र प्रसाद ने कहीं। आज सीपीआई राज्य कार्यालय में मानवाधिकार एवं भारतीय संविधान विषय पर कार्यशाला आयोजित थी। रांची विश्वविद्यालय के छात्रों...
More »‘भारतीय राजनीति के दाधीच थे सुरेंद्र मोहन’
नई दिल्ली.प्रख्यात समाजवादी नेता, विचारक और आपातकाल के बाद गठित जनता पार्टी के संस्थापकों में से एक स्व. सुरेंद्र मोहन को गुरुवार को राजधानी के कांस्टीट्यूशनल क्लब में आयोजित स्मृति सभा में समाजवादियों, वामपंथियों व सामाजिक संघर्ष से जुड़े संगठनों ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एस जयपाल रेड्डी तो उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए रो पड़े और स्व. उप-राष्ट्रपति कृष्णकांत की पत्नी सुमन कृष्णकांत का गला भर्रा गया।...
More »' हमारी 108 ने दुनिया के सारे रिकार्ड तोड़े हैं '
नित्यानंद स्वामी, भगत सिंह कोश्यारी, नारायण दत्त तिवारी और भुवन चंद्र खंडूड़ी के बाद डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ राज्य के पांचवें मुख्यमंत्री हैं. पिछले 10 सालों में ‘राज्य की दशा और दिशा’ पर उन्होंने मनोज रावत से बात की अलग राज्य बनने के बाद दस वर्षों का क्या अनुभव है? मैं सोचता हूं कि इन वर्षों को राज्य के सुखद और आशाओं से भरे समय के रूप में देखा जा सकता...
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