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जल शक्ति मंत्रालय की हर घर जल योजना में पानी के साथ आर्सेनिक भी घर-घर पहुंचेगा

-द प्रिंट, बिल्ली होती है ना, बिल्ली.  वह क्या करती है, दूध पीते समय अपनी आंखें बंद कर लेती है और सोचती है कि कोई उसे देख नहीं रहा. यही हाल पानी से जुड़ी सभी ऐजेंसियों को जोड़कर बनाए गए जलशक्ति मंत्रालय का भी है. गंगा पथ पर पानी की गुणवत्ता जांचे बिना वह हर घर नल जल पहुंचाने में जुटा है. डिटेल में जाने से पहले सौरभ सिंह की छोटी सी...

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अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम सिर्फ युद्ध खत्म करने के लिए नहीं गिराए थे

-सत्याग्रह, विश्व विजयी बनना हर ताकतवर देश के तानाशाह का सपना होता है. हिटलर ने भी यही सपना देखा था. एक सितंबर 1939 को पोलैंड पर अचानक हमला करके उसने इस सपने को पूरा करने की शुरुआत की तो यह एक तरह से द्वितीय विश्वयुद्ध की भी शुरुआत थी. सुदूर पूर्व में जापान का राजवंश भी इसी सपने को पूरा करने की लालसा में 1937 से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपना विस्तार...

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लॉकडाउन में न्यायापालिका

-न्यूजक्लिक, सुप्रीम कोर्ट ने हाल में स्वत: संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के ट्वीट्स पर ‘कोर्ट की अवमानना’ की प्रक्रिया शुरू कर दी। कहा जा रहा है कि उनके एक ट्वीट में भारत के मुख्य न्यायधीश पर महामारी के दौर में न्याय व्यवस्था को लॉकडाउन में रखने से संबंधित टिप्पणी की गई थी। यहां लेखक महामारी में बतौर जरूरी सेवा, न्यायिक प्रक्रियाओं को जारी रखने में सुप्रीम कोर्ट के...

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प्रेमचंद 140 : जीवन के प्रति दहकती आस्था

-सत्यहिंदी, प्रेमचंद को लेकर साहित्यवालों में कई बार दुविधा देखी जाती है। उनका साहित्य प्रासंगिक तो है लेकिन क्यों? क्या ‘गोदान’ इसलिए प्रासंगिक है कि भारत में अब तक किसान आत्महत्या कर रहे हैं? या दलितों पर अत्याचार अभी भी जारी है, इसलिए ‘सद्गति’ और ‘ठाकुर का कुआँ’ प्रासंगिक है? क्या ‘रंगभूमि’ इसलिए पढ़ने योग्य बनी हुई है कि किसानों की ज़मीन कारखाने बनाने के लिए या ‘विकास’ के लिए अभी...

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जम्मू-कश्मीर की राजनीति में इतना सन्नाटा पहले कभी नहीं था

-बीबीसी, पिछले साल 5 अगस्त की सुबह जब ये घोषणा हुई कि कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है तो कश्मीर में एक राजनीतिक भूकंप महसूस किया गया. अलगावादियों को पहले ही क़ैद किया जा चुका था और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने वाली पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी जेलों या घरों में नज़रबंद कर दिया गया. एक साल बीत जाने के बाद भी कोई राजनीतिक गतिविधि दिखाई नहीं देती. पर्यवेक्षक...

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