शिमला : किसानों को अब परंपरागत खेती की ओर मुड़ना ही होगा। यदि समय रहते किसानों ने पुरानी कृषि पद्धति को नहीं अपनाया तो भविष्य में इसके भयावह परिणाम भुगतने होंगे। कृषि पद्धति ही नहीं किसानों को खेती में विविधता भी लानी होगी क्योंकि अधिक रसायन के प्रयोग के कारण हिमाचल की मिट्टी से पोषक तत्व खत्म होते जा रहे हैं। विकसित देश अब भारत में की जाने वाली परपंरागत कृषि...
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ग्लेशियर पिघलने से करोड़ों लोग होंगे प्रभावित
दुबई। आने वाले दशकों में हिमालय के ग्लेशियर पिघलकर छोटे होने से उनके आसपास रहने वाले करीब छह करोड़ लोगों को खाद्य पदार्थों की किल्लत के साथ-साथ पानी के स्रोत खत्म होने से फसलों के नुकसान से भी दो-चार होना पड़ेगा। हालैंड के वैज्ञानिकों ने एक ताजा अध्ययन में यह दावा किया है। हालांकि साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के लेखक वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह नुकसान जलवायु...
More »किसान मरे नहीं तो क्या करे--- देविंदर शर्मा
भारत में किसानों की आत्महत्या को लेकर छिड़ी बहस के बीच अमरीका में किसानों को अनुदान दिए जाने के बारे में एक दिलचस्प रिपोर्ट आई. 1997 से 2008 के बीच भारत में करीब दो लाख किसानों ने बढ़ते कर्ज के कारण होने वाले अपमान से बचने के लिए अपनी जान देने का आत्मघाती कदम उठाया. इन किसानों को सरकार से किसी प्रकार की सीधी सहायता नहीं मिली थी. अमरीका ने 1995...
More »जिले में इस बार घट जाएगा धान का क्षेत्रफल
रुड़की (हरिद्वार)। जिले में इस बार धान का क्षेत्रफल घट जाएगा। गन्ने के क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी होने की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। कृषि विभाग के अधिकारी इस बात को लेकर भी चिंतित नजर आ रहे हैं कि इस बार सरकारी गोदामों पर बीज की खरीदारी करने के लिए कम संख्या में किसान आ रहे हैं। ऐसे में यदि बीज की बिक्री नहीं की गई तो उनको नुकसान उठाना पड़ सकता है। ...
More »कृषि बीमा कंपनी ने दिया 46.9 करोड़ रुपये का फसल बीमा राशि
भुवनेश्वर। वर्ष 2009 खरीफ फसल बीमा के लिए उड़ीसा स्टेट को-आपरेटिव बैंक को भारतीय कृषि बीमा कंपनी की ओर से 46.9 करोड़ रुपये का चेक प्रदान किया गया है। सचिवालय में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की उपस्थिति में संपृक्त चेक बीमा कंपनी की ओर से बैंक को प्रदान किया गया। गौरतलब है कि 2009 खरीफ ऋतु में राज्य के 10 लाख किसानों ने बीमा कराया था। जिसमें से फसल नष्ट होने के चलते लगभग 1...
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