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गांधी और आंबेडकर का रिश्ता- श्रीभगवान सिंह

जनसत्ता 7 जुलाई, 2012: पिछले दो-तीन दशकों का एक बड़ा राजनीतिक यथार्थ यह है कि राष्ट्रपिता के रूप में समादृत गांधी के ऊपर डॉ भीमराव आंबेडकर को न सिर्फ खड़ा करने, बल्कि गांधी को आंबेडकर और दलित विरोधी भी सिद्ध करने की कोशिश लगातार की जा रही हैं। यह सब हो रहा है आंबेडकर के नाम पर दलित राजनीति करने वाले आंबेडकरवादियों द्वारा, क्योंकि इसके जरिए उनके लिए एक समुदाय...

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मंदी से बचे रहेंगे खेत और किसान

सामाजिक कार्यकर्ता अशोक भगत अपने वैचारिक आधार से ज्यादा गांवों के विकास का आधार तैयार करने के लिए जाने जाते हैं. 1983 में उन्होंने देश के सबसे पिछड़े जिलों में से एक गुमला के बिशुनपुर से विकास भारती नामक संस्था बना कर ग्राम विकास के काम की शुरुआत की. आज इस संस्था की राज्य के हर जिले में उपस्थिति है. विकास भारती का 30 वां साल चल रहा है. लंबी यात्र...

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हजारों भागीरथ बनाए कलेक्टर उमराव ने- पवन देवलिया की रिपोर्ट

भोपाल (एमपी मिरर)। एक भागीरथ को भारतीय इतिहास में इसलिए जाना जाता है कि वे गंगा को इस धरती पर लाए थे। इस पुण्य कार्य को सफल बनाने के लिए भागीरथ ने अपना सारा जीवन खपा दिया था। इस पुण्य कार्य को करने के बाद उनके साथ दो चीजें हमेशा के लिए जुड़ गईं। एक तो गंगा को धरती पर लाने के बाद उनका नाम गंगाजी के साथ हमेशा के लिए जुड़ गया। इसके...

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कड़िया की हवेली बाकी सबके झोपड़े

भले ही कड़िया मुंडा देश की सबसे बड़ी पंचायत (लोकसभा) के उपाध्यक्ष हो, लेकिन उनका गांव चांडीडीह काफी पिछड़ा है. खूंटी लोकसभा क्षेत्र की जनता ने पहली बार 1977 में कड़िया मुंडा को सांसद के रूप में चुना था और इसके बाद वे सात बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. वर्ष 2009 में सांसद चुने जाने के बाद इन्हें लोकसभा का उपाध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद मिला. भाजपा के इस वरिष्ठ...

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कड़वे बादाम : दिल्ली के बादाम उद्योग में मज़दूरों का शोषण

  उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दूर-दराज़ कोने में बसी हुई, शोर-ग़ुल और चहल-पहल भरी करावलनगर की बस्ती, अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमों का एक उभरता हुआ केन्द्र है, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर और उनके परिवारों को रोज़गार मिलता है। ये उद्यम किसी भी मानक से छोटे नहीं है। वैश्विक सम्‍बन्‍धों की जटिल श्रृंखला में बँधे ये उद्यम, सालभर चालू रहते हैं और हज़ारों मज़दूरों के रोज़गार का स्रोत हैं। कई करोड़...

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