राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक से होते हुए भारतीय जनता पार्टी में महासचिव का पद संभाल चुके केएन गोविंदाचार्य पिछले कई सालों से पार्टी से छुट्टी पर चल रहे हैं. वह राजनीति की मुख्यधारा से भले अलग हो गये हों, पर उनकी छवि देसी चिंतक -विचारक की है. उनके पास भारत को देखने-समझने का अपना ‘स्वदेशी' नजरिया है. हाल ही में गोविंदाचार्य से बातचीत की प्रभात खबर डॉट कॉम के...
More »SEARCH RESULT
न्यूनतम सरकार अधिकतम शोषण- के सी त्यागी
श्रमिकों के शोषण का लंबा इतिहास रहा है। इसके विरुद्ध श्रमिकों ने समय-समय पर आवाज उठाई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रम कानून बने। मजदूर संगठित हुए, उन्हें अधिकार मिले, स्वतंत्रता मिली, सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ा। इसका असर हमने भारत में भी देखा। लेकिन नई औद्योगिक नीति और उदारीकरण का दौर परवान चढ़ने के साथ ही श्रमिक फिर शोषण का शिकार हुए। उनका सामाजिक दायरा घटा, अधिकार सिकुड़ते चले गए। इसी...
More »अधूरे राज्यों के अपने-अपने संघर्ष- एस श्रीनिवासन
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन आर रंगासामी में कई समानताएं हैं। दोनों विशाल बहुमत के साथ अपनी-अपनी विधानसभा में पहुंचे हैं, मगर इन दोनों को आधे-अधूरे अधिकार मिले हैं। वे अधूरे राज्यों की सत्ता में हैं। इन दोनों नेताओं को सरकारी तामझाम बिल्कुल पसंद नहीं। केजरीवाल जहां लाल बत्ती और पायलट कारों के काफिले से परहेज बरतते हैं, तो रंगासामी अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा...
More »RTI में खुलासा : दो महीने में केजरीवाल के घर का बिजली बिल आया 91,000
नयी दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिविल लाइन्स स्थित आवास का अप्रैल और मई महीने का बिजली का बिल करीब 91,000 रुपये का था. यह जानकारी एक आरटीआई अर्जी के जवाब में मिली है. दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने केजरीवाल के सिविल लाइन्स स्थित आवास के बिजली बिल की प्रतियां दी हैं. वकील और आरटीआई कार्यकर्ता विवेक गर्ग ने आरटीआई अर्जी दाखिल की थी. हालांकि दिल्ली भाजपा ने...
More »आपातकाल से हमने क्या सीखा- नीलांजन मुखोपाध्याय
किसी भी देश में थानेदार मानसिकता वाले लोगों की बड़ी संख्या आपको मिल जाएगी। भारत में इस तरह की सोच दरअसल औपनिवेशिक मानसिकता वाले ऐसे लोगों के जरिये आई है, जिन्हें अंग्रेजों ने स्थानीय स्तर पर महत्वपूर्ण पदों पर बिठाया था। स्थानीय थाने के वे दारोगा हमारे आदर्श बने, जिनके पास निरंकुश क्षमता थी और जिन्हें अपने अधीनस्थों को किसी भी किस्म की सफाई देने की जरूरत नहीं थी। गणतंत्र...
More »