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खुले में शौच पर रोक: स्कूली छात्रों को संवेदनशील बनाएगी सरकार

अगर आपके स्कूल जाने वाले बच्चे आपको शौचालयों के प्रयोग के बारे में कुछ सलाह मशविरा देना शुरू कर दें तो हैरान मत होइएगा क्योंकि अब बच्चों को खाना खाने से पहले और खाना खाने के बाद साबुन से हाथ धोने के बारे में जागरुक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। केंद्र सरकार खुले में शौच करने की दयनीय स्थिति को समाप्त करने के लिए जल्द ही एक अभियान...

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60 करोड़ पौधे लगाए, फिर भी प्रदेश में घट गया वन क्षेत्र

हरीश दिवेकर, भोपाल। वन महकमा पिछले सात सालों में पौधरोपण के नाम पर 300 करोड़ स्र्पए फूंक चुका है, लेकिन मैदानी हालात जस के तस हैं। दावा 60 करोड़ पौधे लगाने का है, जबकि विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे में आधे पौधे भी बच पाते तो प्रदेश का वन आवरण बढ़ना था, लेकिन हाल ही में जारी फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) 2013 की रिपोर्ट वन विभाग के दावे से...

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छत्‍तीसगढ़ में तीन सौ से ज्यादा डॉक्टरों की नियुक्तियां अवैध

जिया कुरैशी/रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा हाल ही में नियुक्त किए गए 494 डॉक्टरों (चिकित्सा अधिकारी) में से 304 डॉक्टरों की नियुक्तियों में गड़बड़ी उजागर हुई है। इन नियुक्तियों के लिए जिम्मेदार प्रभारी उप संचालक डॉ.कीर्तिचरण उरांव को उनके पद से हटा दिया गया है। नियुक्तियों में गड़बड़ी का आलम यह था कि नियुक्ति का आदेश हासिल करने वाले 494 डॉक्टरों को जब उनके दस्तावेज की जांच के लिए बुलवाया...

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देश में 20 फीसदी खाद्य वस्तुएं घटिया पाई गईं

देश भर के रेस्तरां और फास्ट फूड विक्रय केंद्रों में 20 फीसदी से अधिक खाद्य वस्तुएं घटिया अथवा मिलावटी पाई गईं। सरकार के आंकड़ों के जरिए यह बात सामने आई है। साल 2013-14 में देश की कई सरकारी प्रयोगशालाओं में 46,283 खाद्य नमूनों की जांच की गई। इनमें दुग्ध उत्पाद और तेल एवं मसालों युक्त व्यंजनों के नमूने शामिल थे। इन खाद्य नमूनों में 9,265 नमूने ऐसे थे जो मिलावटी...

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शक्ति की करो तुम मौलिक कल्पना- रमेशचंद्र शाह

जनसत्ता 14 जुलाई, 2014 : भीतर और बाहर के सूने सपाट में अकस्मात यह कैसी तरंग उठी और उठ कर फैलती ही गई! महज एक काव्य-पंक्ति, सबकी जानी-मानी एक सुविख्यात कवि की क्यों इस तरह अयाचित और अकस्मात मन में कौंध उठी कि मुझे लगने लगा- मुझे जो कुछ कहना था वह मैंने कह दिया और कहने के साथ ही कर भी दिया। कुछ इस तरह कि मानो जो कुछ भीतर...

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