SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 736

तय मानकों पर खरी नहीं हिमाचल की 21 दवाइयां

धर्मशाला. महाराष्ट्र फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की जांच में हिमाचल में बनीं 21 दवाइयां सब-स्टैंडर्ड पाई गईं हैं। एफडीए ने कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। इन कंपनियों में एसोसिएट बायोटेक, डीएम फार्मा, डिजीटल विजन, गलफा लैबोरेट्रीज, आईओएन हेल्थकेयर, ऑरिसन फार्मा इंटरनेशनल, शेरम लैब, स्पान्कर बायोटेक लिमिटेड, टैरेस फार्मास्यूटिकल्स, तिरुपति मेडिकेयर और वेलेंस हेल्थकेयर कंपनियां शामिल हैं। एफडीए द्वारा हर माह कैमिस्ट व ड्रगिस्ट से विभिन्न दवाइयों के...

More »

जमीन आबंटन में घिरे राजस्व मंत्री

रायपुर. दुर्ग जिले के धमधा विकासखंड के ग्राम मलपुरी खुर्द में लगने वाले जेके लक्ष्मी सीमेंट को गलत ढंग से जमीन आबंटन के मामले में राजस्व मंत्री दयालदास बघेल को कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा में घेरा। दोषी एसडीएम यूके खान पर कार्रवाई के संबंध में विपक्ष के विधायक उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुए तो संसदीय कार्यमंत्री बृजमोहन अग्रवाल को इस मामले में जवाब देने के लिए खड़ा होना पड़ा। नेता प्रतिपक्ष...

More »

अवैध खनन का ‘राज’स्थान- शिरीष खरे(तहलका) की रिपोर्ट

पिछले साल सर्वोच्च न्यायालय के सामने राजस्थान सरकार ने दावा किया था कि अरावली की पहाड़ियों में खनन पूरी तरह बंद है. लेकिन राष्ट्रीय राजधानी के मुहाने पर बसे सीकर जिले की तस्वीर ही इस दावे की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है. शिरीष खरे की रिपोर्ट राजस्थान की राजधानी जयपुर को देश की राजधानी दिल्ली से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-8 के साथ ऊंट के आकार-सी उठती-बैठती अरावली पर्वत श्रृंखला...

More »

गरीबों के पैसों से आंदोलन!- तवलीन सिंह

प्रधानमंत्री ने अपने खास उदारवादी अंदाज में गैरसरकारी संस्थाओं (एनजीओ) को फटकार क्या लगाई कि हाय-दुहाई मच गई। वही संस्थाएं जो बेझिझक आरोप लगाती हैं राजनीतिकों पर, पत्रकारों पर, उद्योगपतियों पर और न जाने किस किस पर। जब उनकी बारी आई, तो हल्ला मचाना शुरू कर दिया। क्या सिर्फ एनजीओ ही हैं इस विशाल देश में, जो दूध के धुले हैं? क्या उनसे इतना भी नहीं पूछा जा सकता कि...

More »

सत्ता में दलित- श्योराज सिंह बेचैन

Dalits pain मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में जब जातियों के आधार पर राजनीतिक गोलबंदी तेज हो गई है, सही मायने में कांशीराम ही अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने व्यवस्था बदलने के लिए जाति के समाप्त होने का इंतजार नहीं किया था। उन्होंने जातियों, उप-जातियों में सहअस्तित्व और आत्मसम्मान की भावना जगाकर उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी की महत्वाकांक्षा के साथ संगठित किया। समकालीन राजनीति में उनके इस योगदान ने न केवल हाशिये पर...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close