दिल्ली के जिस वसुंधरा इन्कलेव में मैं रहता हूं, वहां 56 हाउसिंग सोसाइटी हैं, और उसके पीछे एक गांव है, दल्लूपुरा. इस गांव में कबाड़ का कारोबार लंबे समय से फलता-फूलता रहा है.अक्सर कबाड़ी कूड़े में प्लास्टिक, रबर और रसायन जलाते हैं, जिससे आसपास के अपार्टमेंट में रहनेवालों का जीना दूभर हो जाता है. पुलिस में इसकी लगातार शिकायत गयी, तब यह कुछ समय के लिए रुका. यह इसलिए नहीं...
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क्या यही है पंचायती राज- पीयूष द्विवेदी
कई राज्यों में पंचायत चुनाव चल रहे हैं। कुछ राज्यों में हो चुके हैं तो कुछ में अभी उनकी प्रक्रिया चल रही है। पंचायत चुनाव के इस माहौल में अगर देश के गांवों में जाकर वहां का हाल जानने की कोशिश करें तो हर चौक-चौराहे पर इन चुनावों को लेकर चर्चा मिलेगी। हर सीट को लेकर गुणा-भाग करते ग्रामीण जन मिलेंगे। सीटों के सामान्य या आरक्षित रहने के विषय में...
More »'ऐसा अकाल 35 साल में मैंने कभी नहीं देखा'
छत्तीसगढ़ के उत्तर मरवाही इलाके के गांव डेडिया में लोगों ने अब सूखते खेतों में जाकर बारिश के लिए प्रार्थना करना छोड़ दिया है. साठ दिन पुराने धान की हल्की किस्मों की फसल से अब उम्मीद नहीं रही कि अब वो पनप पाएंगी. गांव के लोगों ने एक दिन तय कर लिया कि पूरा खेत मवेशियों के लिए छोड़ दिया जाए. गांव के फ़ैसले के बाद चरवाहा लवन सिंह खेतों में जाकर...
More »जलवायु संकट के सबक-- अरुण तिवारी
पिछले ग्यारह हजार तीन सौ सालों की तुलना में आज पृथ्वी सबसे गर्म है। उत्तरी ध्रुव के आर्कटिक सागर में इस बार 1970 के बाद सबसे कम बर्फ जमी है। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव से बाहर दुनिया का सबसे बड़ा बर्फ भंडार, तिब्बत में ही है। इसी नाते तिब्बत को ‘दुनिया की छत' कहा जाता है। इस नाते आप तिब्बत को दुनिया का तीसरा ध्रुव भी कह सकते हैं। यह...
More »ताकि न आए 'नि:शब्द' होने की नौबत - गिरजाशंकर
प्रदेश के किसान अभी जिस बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं, उन्हें उस हाल में पहुंचाने के लिये सूखा ही जिम्मेदार नहीं। इसमें सरकारी तंत्र की नाकामियों की भी बड़ी भूमिका है। यह तथ्य हाल ही में उच्चाधिकारियों के गांव दौरे के उस अनुभव से जाहिर होता है, जिससे स्वयं मुख्यमंत्री रूबरू हुए। किसान इतने परेशान हैं कि लगभग हर दिन प्रदेश के किसी न किसी इलाके से किसानों...
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