अजमेर.जिले की अरांई पंचायत समिति की प्रधान पारसी देवी, जहाजपुर प्रधान सीता देवी गुर्जर व आसींद की प्रधान देबी भील अपने अधिकारों के बारे में तो अनजान हैं ही, उन्हें पंचायतीराज विभाग के मुखिया पंचायतीराज मंत्री का नाम तक मालूम नहीं है? एक को इसके बारे में जानकारी नहीं। दूसरी बोलती है, पूरा नाम पता नहीं पर शायद कोई मालवीय हैं और तीसरी प्रधान ने पंचायतीराज मंत्री का नाम बताया, राजेंद्र सिंह राठौड़ । ...
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'आरटीई कानून के नियमों की पालन जरूरी, सभी स्कूल रजिस्ट्रेशन करवाएं'
चंडीगढ़. शिक्षा के अधिकार के तहत सभी स्कूल अपने राज्यों से रजिस्टर्ड होने चाहिए। सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि चंडीगढ़, पंजाब व हरियाणा के सभी स्कूल अपने संबंधित राज्य से रजिस्टर्ड होने चाहिए। सुनवाई के दौरान सामने आया कि पंजाब में कुल 9800 स्कूलों में से 3800 स्कूल रजिस्टर्ड नहीं हैं। जस्टिस एसके मित्तल व जस्टिस टीपीएस मान की खंडपीठ ने कहा कि...
More »नियुक्त होंगे 3200 प्रोग्राम ऑफिसर
पटना : राज्य के हर प्रखंड में छह-छह कार्यक्रम पदाधिकारियों की नियुक्ति की जायेगी. इस प्रकार 3,200 से अधिक पदाधिकारी संविदा पर बहाल होंगे. इनकी नियुक्ति की प्रक्रिया जून, 2012 तक पूरी कर ली जायेगी. स्कूलों में चलायी जा रही योजनाओं की मॉनीटरिंग करना इनका मुख्य कार्य होगा. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी को 6,000 रुपये मानदेय मिलेगा. पोशाक योजना, साइकिल...
More »गरीबी, खाद्य सुरक्षा और कैश ट्रांसफर- रितिका खेड़ा
कुछ महीने पहले योजना आयोग की गरीबी रेखा पर काफी चर्चा हुई हैं. उच्चतम न्यायलय में दायर हलफनामे में योजना आयोग ने कहा कि 2011 की सरकार की गरीबी रेखा- ग्रामीण क्षेत्रों में 26 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 32 रुपए- जीवनयापन यानी खाना, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त है. आज से पहले किसी भी सरकार ने यह दावा नहीं किया कि गरीबी रेखा जीवन बिताने के लिए पर्याप्त...
More »गाय के गोठे में शिक्षा ले रहे आदिवासी बच्चे- प्रदीप घुमडवार
कुही. तहसील की राजोला गुट ग्राम पंचायत का आगरगांव सौ प्रतिशत आदिवासी गांव आज भी विकास से कोसों दूर है। इस गांव में प्राथमिक शाला के लिए स्वतंत्र इमारत नहीं होने से बच्चों को गाय के गोठे में बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। यह गांव मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित हैं। इसका खामियाजा भुगतने के बाद भी आदिवासी चुपचाप हैं। इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। यहां...
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