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कितना कारगर होगा नगा समझौता- दिनकर कुमार

नगा विद्रोही संगठन नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल आॅफ नगालिम (एनएससीएन) के इसाक-मुइवा गुट के साथ शांति प्रक्रिया आखिरकार अंतिम चरण में पहुंच गई है और उम्मीद की जा रही है कि कुछ ही महीने में समझौते के सारे प्रावधानों को सार्वजानिक तौर पर उजागर कर दिया जाएगा। नगा शांति प्रक्रिया की तरह पूर्वोत्तर के किसी उग्रवादी संगठन के साथ बातचीत की इतनी लंबी प्रक्रिया नहीं चली, न ही इतने सारे विवाद और...

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छत्तीसगढ़-- कॉलेजों में महिला उत्पीड़न के मामलों में प्रदेश दूसरों से बेहतर

रायपुर। राज्य की यूनिवर्सिटीज एवं कॉलेजों में पढ़ने वाली छात्राएं एवं महिलाएं देश के दूसरे राज्यों की अपेक्षा महिला यौन उत्पीड़न के मामले में महफूज हैं। इसे लेकर उच्च शिक्षा विभाग में खासा उत्साह है। विभाग ने सभी यूनिवर्सिटीज एवं कॉलेजों में जीरो वुमन सेक्शुअल हैरसमन्ट के टारगेट को लेकर निर्देश जारी कर दिया है। किसी भी आपत्तिजनक शिकायत पर त्वरित निदान के लिए कहा गया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास...

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मुसलमानों को नागरिकता क्यों नहीं?- आकार पटेल

मैंने आप्रवासन (इमीग्रेशन) पर छपी एक खबर देखी, जिसके बाद मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि सरकार जो कर रही है क्या उस पर उसने सोचा भी है. ‘द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘असम और पश्चिमोत्तर भारत के कुछ हिस्सों पर दूरगामी असर डालनेवाला एक कदम उठाते हुए, केंद्रीय गृह मंत्रालय नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन करेगा, जो धार्मिक उत्पीड़न की वजह से पाकिस्तान और बांग्लादेश से भाग...

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पूर्वोत्तर में संभावना- चंदन कुमार शर्मा

नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) यानी एनएससीएन (आईएम) और केंद्र सरकार ने विगत तीन अगस्त को एक संधि पर हस्ताक्षर करके देश के सबसे पुराने उग्रवादी आंदोलन की समाप्ति को लेकर ताजा संभावनाएं पैदा की हैं। यह संधि असल में, आगामी समझौते की एक रूपरेखा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह समझौता आगामी तीन महीने में हो जाएगा। नगा संगठन पिछले कई दशकों से अपने लिए एक स्वतंत्र देश...

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सामाजिक बराबरी का जरिया बने शिक्षा- अनिल प्रकाश जोशी

आज के सामाजिक सरोकार कितने भी दावे कर ले, पर यह पूरी तरह सच है कि आने वाले समय में हम भटके हुए समाज कहलाएंगे। स्वतंत्रता के 67 साल बाद भी हमने बहुत से मुद्धों को सिरे से नकार रखा है। उनमें एक बहुत बड़ा विषय हमारी शिक्षा प्रणाली का है। अपने देश में शिक्षा के कई स्तर हैं और उसी से पैदा पीढ़ी का व्यवहार व दायित्व उसी अनुसार...

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