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अगर आप समाचारों के ऑनलाइन पाठक हैं तो ये न्यूज एलर्ट जरुर पढ़ें!

भारत में समाचारों के आस्वाद की दुनिया तेजी से बदली है : लोगों का समाचारों पर से विश्वास घटा है और समाचार के पाठकों की दुनिया की एक बड़ी तादाद को आशंका सताती है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपने राजनीतिक विचारों का इजहार किया तो उन्हें अधिकारी-वर्ग से परेशानी उठानी पड़ेगी.   अंग्रेजी भाषी पाठकों के बीच किये गये एक सर्वेक्षण के मुताबिक टेलिविजन, अखबार या फिर रेडियो नहीं बल्कि समाचार हासिल करने...

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मतदान से पहले कितना सोचते हैं हम-- बीजू डॉमिनिक

क्या वोटिंग एक तर्कसंगत प्रक्रिया है? यदि ऐसा है, तब तो आम मतदाता अपने फैसले पर पहुंचने से पहले काफी सोच-विचार करता होगा। मसलन, उम्मीदवार किस पार्टी से हैं? साल 2014 में जो पार्टी सत्ता में आई थी, उसने क्या-क्या वादे किए थे? उनमें से कितने प्रतिशत वादे पूरे हुए? उन्होंने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा न कर पाने के लिए क्या उनके पास वाजिब वजहें हैं? किस पार्टी...

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नारों के हिंडोले और हमारी हकीकत-- शशिशेखर

अपनी 72 साला आजादी में भारत ने कुलजमा 16 आम चुनाव देखे हैं। इसके बावजूद सवाल कायम है कि हमारा लोकतंत्र सही दिशा में बढ़ रहा है या नहीं? क्या वजह है कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र अपने विशाल आकार को अभी वांछित प्रकार से व्यवस्थित नहीं कर सका है? बताने की जरूरत नहीं कि आजादी के बाद पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ था। उस समय हिन्दुस्तान का...

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मुआवज़े में मिली राशि से रेप पीड़िताओं के लिए कोष बनाएंगी बिलक़िस बानो

नई दिल्ली: वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार की शिकार हुईं बिलक़िस बानो ने बुधवार को कहा कि उन्हें 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय का निर्देश एक ‘नजीर' है. साथ ही, इससे न्यायपालिका में उनका विश्वास और भी मजबूत हुआ है तथा यह बलात्कार एवं साम्प्रदायिक हिंसा की अन्य पीड़िताओं के लिए उम्मीद की एक किरण है. हालांकि, बानो ने आरोप...

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प्रेस की आज़ादी के मामले में भारत दो पायदान फिसला, चुनाव का समय पत्रकारों के लिए बेहद ख़तरनाक

नई दिल्लीः मीडिया की आजादी से संबंधित ‘रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स' की सालाना रिपोर्ट में प्रेस की आजादी के मामले में भारत दो पायदान खिसक गया है. 180 देशों में भारत 140वें स्थान पर है. गुरुवार को जारी इस रिपोर्ट में भारत में चल रहा चुनाव प्रचार का यह दौर पत्रकारों के लिए खासतौर पर सबसे ख़तरनाक वक्त के तौर पर चिह्नित किया गया है. वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2019 यानी ‘विश्व प्रेस...

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