कई तकनीकी एवं कानूनी रुकावटों और लंबे जन-आंदोलनों के बावजूद सरदार सरोवर बांध अंतत: अपनी पूरी ऊंचाई के साथ हकीकत बन गया. मगर ‘एक आदिवासी के विस्थापन की तुलना में सात आदिवासियों को लाभ पहुंचाने' के दावे वाले, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े इस बांध के उद्घाटन के साथ बड़े बांधों के व्यापक नुकसान की चर्चा थम नहीं गयी है. बड़े बांधों के खिलाफ आवाज बुलंद करनेवालों के तेवर और...
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जब दिल्ली यूनिवर्सिटी की लड़की को शादी के बाद कहा गया, सफेद तौलिये पर VIRGINITY TEST के लिए...
दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ी-लिखी और जर्मन भाषा में बीए मानसी चड्ढा ने अपने जीवन की एक कहानी शेयर की जिसके बाद लोग उनकी बहादुरी की तारीफ कर रहे हैं. उनकी कहानी से प्रभावित होकर स्वाति मिश्रा लिखती हैं- आप एक मजबूत इरादों वाली महिला हैं. मेरा ऐसा मानना है कि अगर किसी लड़की को वर्जिनिटी टेस्ट के लिए बोला जाये तो उसे सफेद कंबल उनके मुंह पर मारना चाहिए और...
More »वीआइपी कल्चर और पुलिस -- विभूति नारायण राय
ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरडी) ने अपने हालिया आंकड़ों में बताया है कि वर्तमान में हमारे देश में कुल 19.26 लाख पुलिसकर्मी हैं, जिनमें से 56,944 पुलिसकर्मियों को देशभर के कुल 20,828 वीआइपी व्यक्तियों की सुरक्षा में लगाया गया है और शेष पुलिसकर्मी देश के आम नागरिकों की सुरक्षा में तैनात हैं. इस आंकड़े के विस्तार में जाकर बीपीआरडी ने पाया कि जहां 663 आम नागरिकों की...
More »आदिवासी स्त्रियों का शोषण रोकने सुरक्षा कवच जरूरी - रमेश नैयर
ढाई-तीन दशक से मनुष्यों का आखेट क्षेत्र बने हुए बस्तर के अनेक अप्रिय सच सामने आने लगे हैं। बस्तर की वे अल्हड़ युवतियां, जो घने जंगल में मुक्त विचरण करते हुए शेर और भेड़िये से भी नहीं डरा करती थीं, अब दो पैरों वाले नृशंस पशुओं की छाया से भी थरथराने लगी हैं। कटु सत्य यह है कि वे कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। बालिका छात्रावासों में शिक्षकों और अन्य...
More »गौरी लंकेश मर्डर: विचारधारा बनाम गोली-- शेखर गुप्ता
गौरी लंकेश हत्याकांड के बारे में कई चीजें हैं। एक, वे शक्तिशाली वैचारिक नेता थीं। धुर वाम-उदार विचारधारा की निर्भीक तर्कवादी थीं। दो, नियमित रूप से उन्हें दी जाने वाली धमकियों के बाद भी साहस के साथ अपनी बात कहती थीं। तीन, जैसाकि ध्रुवीकृत वातावरण में होता है, उनसे सहमत होने वाले पूरे जुनून से उनके साथ थे। जो असहमत होते वे इस वैचारिक अखाड़े की दूसरी ओर से जवाब...
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