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कृषि क्षेत्र की लगातार उपेक्षा- पवन के वर्मा

सरकार की आर्थिक दृष्टि औद्योगिक गलियारों, राजमार्गों, बुलेट ट्रेनों और स्मार्ट शहरों तक ही सीमित है. भारत को इनकी जरूरत है, लेकिन सरकार एकतरफा ढंग से उस भारत को छोड़ इन लक्ष्यों के पीछे नहीं भाग सकती है जहां आत्महत्याओं की संख्या और लोगों की तकलीफें बेतहाशा बढ़ रही हैं. भाजपा को याद करना चाहिए कि सर्वाधिक 18,241 आत्महत्याएं 2004 में हुई थीं, जब पार्टी ‘शाइनिंग इंडिया' की बात करती...

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जनता का सम्मान करना सीखिए- नीलांजन मुखोपाध्याय

हर पेशेवर आदमी की सफलता के लिए औजार या हुनर और कच्चे माल की जरूरत पड़ती है। मसलन, जूता तैयार करने वाली कंपनी को औजार के रूप में श्रमिक और कच्चे माल के तौर पर चमड़े और दूसरी चीजों की आवश्यकता पड़ती है। भारत में राजनीति भी एक पेशा है, और इसमें सफल होने के लिए चिंतन क्षमता, रणनीति बनाने की काबिलियत, अभिव्यक्त कर पाने की शक्ति और प्रचार में...

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तंबाकू का अर्थशास्त्र- पुष्परंजन

पूरी दुनिया को पता है कि विल्स कंपनी सिगरेट और तंबाकू का कारोबार करती है। अगर कोई विल्स की टी-शर्ट पहने, तो संदेश यही जाता है कि वह इस कंपनी के उत्पाद का प्रचार कर रहा है। ऐसे कई सारे फोटो इंटरनेट पर अब भी मौजूद हैं, जिनमें क्रिकेट के भगवान कहे गए सचिन तेंदुलकर विल्स की टी-शर्ट पहने हुए हैं। यों भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने पांच-छह साल पहले इसकी...

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क्यों खुदकुशी कर रहे हैं किसान- विनय सुल्तान

सारी पार्टियां गजेंद्र सिंह की खुदकुशी पर गमगीन दिखने की होड़ में शामिल हैं। अगर उनके आंसू सच्चे हैं तो वे बाकी किसानों की सुध क्यों नहीं ले रही हैं? महाराष्ट्र में सिर्फ चार महीनों में सैकड़ों किसानों ने अपनी जान ले ली। गजेंद्र सिंह राजस्थान का था। मगर राज्य के किसानों पर छाए संकट का वह अकेला उदाहरण नहीं था। कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ में हाल में तीस से...

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'कुछ दिन और पानी में रहे तो हम भी गजेंद्र हो जाएंगे'

ओंकारेश्वर। हम हमारा अधिकार मांग रहे हैं... मेरी जमीन पर मूंग की फसल बोई थी, यहां पानी भर दिया है। अब मैं क्या करुं कुछ समझ में नहीं आ रहा। कुछ दिन और पानी में रहे तो हम भी गजेंद्र हो जाएंगे। यह दर्द भरी बात घोघलगांव जल सत्याग्रह के 16वें दिन आंदोलनकारी रमेश कड़वाजी ने कही। उन्होंने कहा कि मैं बाकी किसी की बात नहीं करता। मेरे खेत का मुझे...

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