लोगों को मिलेगी बदबू से निजात और प्राधिकरण को मिलेगा तीन गुना शुद्ध पानी। शहर में नए लगने वाले चार एसटीपी में प्राधिकरण एसआरबी तकनीक का प्रयोग कर रहा है। इस तकनीक के जरिए गाद निकलने की बजाय एसटीपी से सीधे खाद निकलेगी। प्लांट से निकलने वाला पानी भी तीन गुना अधिक शुद्ध होगा। प्लांट को लगाने में भी कम जमीन की आवश्यकता होगी। प्राधिकरण ने शहर में जो चार सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट...
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भू-जल स्रोतों के पुन: आकलन के लिए राज्यस्तरीय समिति गठित
जागरण ब्यूरो, शिमला : वर्ष 2008-09 में भू-जल स्रोतों के पुन: आकलन के लिए राज्यस्तरीय समिति का गठन किया गया है। प्रधान सचिव, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य इस समिति के अध्यक्ष होंगे। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ, निदेशक शहरी विकास, निदेशक कृषि, समस्त मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता हाइड्रोलॉजी, अधीक्षण अभियंता जलापूर्ति एवं मल निकासी, अधीक्षण अभियंता प्लानिंग एवं डिजाइन, हिमाचल प्रदेश जल प्रबंधन बोर्ड के नामित सदस्य तथा नाबार्ड के महाप्रबंधक इस समिति के सदस्य...
More »मनरेगा: सीमांत कृषकों को तोहफा
देहरादून। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत अब सीमांत एवं लघु किसान अपनी भूमि पर सिंचाई, उद्यानीकरण, पौधरोपण एवं भूमि विकास संबंधी कार्य कर सकेंगे। योजना में अनुसूचित जाति,जनजाति एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। योजना फिलहाल चार ब्लाकों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की गई है। एफआरडीसी सुभाष कुमार ने सचिव ग्राम्य विकास, कृषि तथा समस्त जिलाधिकारियों को इस संबंध में...
More »बस्तर के निर्धन परिवारों की आमदनी बढ़ाने की कोशिश
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग केआदिवासी परिवारों की मासिक आमदनी पांच हजार रुपए तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। अधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में गरीबी रेखा श्रेणी के 50 हजार परिवारों को हर महीने कम से कम पांच हजार रुपए की आमदनी सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक तैयारियां शुरू की गई है। इन परिवारों को विभिन्न रोजगारमूलक योजनाओं में शामिल...
More »बंजर भूमि पर किसान उपजा रहे सोना
मगध (गया/औरंगाबाद/नवादा/जहानाबाद)। कृषि क्षेत्र में भी राज्य सरकार की पहल अब रंग लाने लगी है। मगध प्रमंडल के कृषकों को बेहतर उत्पादन के गुर सिखाए जा रहे हैं। बदलते परिवेश में विशेषकर मौसम के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए फसलों के उत्पादन एवं इकाई क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किस्मों का चुनाव, समय से बोआई, नराई-गुहाई, तृण-नियंत्रण, निर्धारित समय पर उचित मात्रा में जैविक एवं रासायनिक उर्वरकों का व्यवहार, सिंचाई की उचित व्यवस्था, कीट...
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