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चोरौत में खाद्यान्न की कालाबाजारी परवान पर

पुपरी (सीतामढ़ी), निज संवाददाता : चोरौत प्रखंड में विभागीय लापरवाही के कारण कालाबाजारी करने वाले डीलरों के हौसले बुलंद होते जा रहे है। वहीं उपभोक्ता हलकान हो रहे है। प्रखंड के चोरौत पश्चिमी पंचायत में एक बार फिर एक डीलर के द्वारा गरीबों का खाद्यान्न कथित कालाबाजारी किये जाने का मामला सामने आया है। हद तो यह है कि इस संबंध में स्थानीय समाजिक कार्यकर्ता नवल कुमार मंडल द्वारा अधिकारियों को दिये...

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खेती की उपेक्षा और खाद्य सुरक्षा- भारत डोगरा

जनसत्ता 21 मार्च, 2012: लोकसभा में पिछले वर्ष प्रस्तुत किए गए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक से कोई सहमत हो या असहमत, पर इसके महत्त्च से इनकार नहीं किया जा सकता। मौजूदा रूप या इससे काफी मिलते-जुलते रूप में यह विधेयक पारित हो गया तो आने वाले अनेक वर्षों तक इसका हमारी खाद्य और कृषि व्यवस्था पर बहुत व्यापक असर पड़ेगा। इसलिए इस विधेयक से संबंधित जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे...

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अनपढ़ आरटीआइ कार्यकर्ता

सहारिया जनजाति मुख्य रूप से मध्य प्रदेश में पायी जाती है. मध्य प्रदेश से सटे राजस्थान के बारां जिले के शाहबाद और किशनगढ़ प्रखंड में भी इनकी ठीकठाक संख्या है. यहां सहारिया लोगों के पास किसी जमाने में काफ़ी जमीन हुआ करती थी. लेकिन कोई दस्तावेज नहीं होने के कारण धीरे- धीरे इनकी जमीनों पर गैर ओदवासियों और दबंगों ने कब्जा कर लिया. सरकार ने सहारिया को आदिम जनजाति का दरजा दिया...

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मुद्रास्फ़ीति फ़रवरी महीने में बढ़कर 6.95 फ़ीसद हुई

नयी दिल्लीः खाद्य वस्तुओं विशेष तौर पर सब्जी, अंडा, मांस-मछली, दाल जैसे उत्पादों की कीमत बढ़ने के कारण मुद्रास्फ़ीति फ़रवरी महीने में बढ़कर 6.95 फ़ीसद हो गई. थोकमूल्य सूचकांक डब्ल्यूपीआई के आधार पर आकलित मुद्रास्फ़ीति जनवरी में 6.55 फ़ीसद थी. पिछले वर्ष फ़रवरी महीने में मुद्रास्फ़ीति 9.54 प्रतिशत थी. यहां आज जारी ओधकारिक आंकडे के मुताबिक फ़रवरी में दालों की कीमत 7.91 फ़ीसद चढी जबकि सब्जियों की कीमत 1.52 फ़ीसद बढ़ी. हालांकि...

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पत्थर पर दूध और धान- सहकारिता और नई तकनीक का कमाल

पश्चिमी घाट कहलाने वाली सह्याद्रि पर्वतऋखंला के इलाके में एक गांव है खंबोली। और इस गांव के एक किसान विश्वनाथ की धनखेतियां सुनहली धूप में सोने की तरह चमचमा रही हैं। धनखेतियों के चारो तरफ अमराई है, अमराइयों से ठंढी बयार बहती है, धनखेतियों को आकर दुलार देती है। यों तो भारत के ज्यादातर किसानों की खेती सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर है लेकिन इसके उलट विश्वनाथ ने धान...

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