मुजफ्फरपुर, जागरण टीम : 24 घंटों से ही रही लगातार वर्षा से बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई है। प्रभावित क्षेत्रों का सड़क संपर्क टूट चुका है। गायघाट के सौ घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। वहीं, कटरा में कई घर ध्वस्त हो गए हैं। लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। औराई : बागमती नदी के जलग्रहण क्षेत्र में हो रही लगातार वर्षा से प्रखंड क्षेत्र...
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गांव की दहलीज पर समस्याओं का समाधान
बड़ा भंगाल के लिए 13 सितंबर एक ऐतिहासिक दिन के रूप में अंकित होगा। जब कोई मुख्यमंत्री पहली बार इस क्षेत्र के लोगों की समस्याएं सुनने के लिए यहां पहुंचेंगे। प्रदेश के अस्तित्व में आने के करीब 40 वर्ष बाद इस गांव के लोगों को एक ऐसा मौका मिलेगा जब वह अपने गांव की दहलीज पर ही प्रदेश सरकार के मुखिया सहित पहुंचे कई मंत्रियों व अधिकारियों से रू-ब-रू होकर...
More »चेंदरू चरित- राजकुमार सोनी(तहलका)
जो लोग हरक्यूलिस साइकिल की सवारी को जानदार मानते हुए वाल्व वाले रेडियो से प्रसारित होने वाली खबरों पर यकीन करते रहे हैं वे थोड़ा -बहुत तो जानते हैं कि चेंदरू कौन है और उसने क्या कमाल किया था. बहुत दावे के साथ तो नहीं कहा जा सकता लेकिन उन लोगों का परिचय भी चेंदरू की दुनिया से हो सकता है जो कभी मधु मुस्कान या चकमक जैसी पत्रिकाओं के...
More »अनुसेवक का वेतन 15 हजार, पुत्र की कमाई लाखों में
देवघर : अभिलेखागार से चोरी हुए 386 एकड़ के जमीन घोटाले के कागजात को बड़ी बारीकी से जलाया गया. कागजात को अनुसेवक ज्योतिंद्र पोद्दार की घर की छत पर चूल्हे में जलाया गया. उसके राख को घर के पीछे खेतों में फेंका गया. राख को नष्ट करने के लिए उस पर पानी डाल दिया गया. फोरेंसिक एक्सपर्ट शंभू सिंह व धर्मेद्र कुमार ने दोनों स्थानों के राख, अधजले कागजात, फाइल आदि के...
More »गोदान : किसान की शोकगाथा--- . गोपाल प्रधान
‘गोदान’ के प्रकाशन के 75 साल पूरे हो गए हैं लेकिन भारत का देहाती जीवन आज भी लगभग उन्हीं समस्याओं और चुनौतियों से घिरा दिखता है जिनका वर्णन मुंशी प्रेमचंद के इस कालजयी उपन्यास में हुआ है. गोपाल प्रधान का आलेख सन 1935 में लिखे होने के बावजूद प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' को पढ़ते हुए आज भी लगता है जैसे इसी समय के ग्रामीण जीवन की कथा सुन रहे हों....
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