“कहा जाता है कि हम लोग दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं क्योंकि देश में बड़े पैमाने पर चुनाव होता है। लेकिन लोकतंत्र का मतलब चुनाव नहीं होता, लोकतंत्र का मतलब होता है देश के फैसलों में जनता की भागीदारी और इस कसौटी पर देखें तो अपने देश में लोकतंत्र नहीं है-‘’सीधे ,सपाट और किसी आंदोलनकारी के मुंह से निकलने का आभास देते शब्द। लेकिन ये शब्द जस्टिस सुप्रीम कोर्ट...
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भूख है तो सब्र कर
इलाहाबाद। शुरुआत करते हैं दुष्यंत कुमार के एक शेर से-न हो कमीज तो पांव से पेट ढक लेंगे, ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए। दरअसल इस शेर की याद इसलिए आई कि राज्य के मानवाधिकार आयोग ने एक ऐसे मामले का संज्ञान लिया है जो दुखद तो है ही साथ ही शर्मसार कर देने वाला भी है। इलाहाबाद के एक गाव में भूख मिटाने के लिए बच्चे मिट्टी खाने को...
More »देश में खुलेंगे 107 नए केंद्रीय विद्यालय
नई दिल्ली। केंद्रीय विद्यालयों की विस्तार योजना के तहत सरकार इस साल देश में 107 नए केंद्रीय विद्यालय खोलेगी। इनमें में सात बुंदेलखंड क्षेत्र में होंगे। वित्त मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली व्यय एवं वित्त समिति [ईएफसी] ने नए स्कूल खोले जाने के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। केंद्रीय विद्यालय संगठन [केवीएस] शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्थान है। केवीएस के अंतर्गत 981 स्कूल चलाए जा रहे...
More »सेहत की आड़ में सेहत से खिलवाड़
कैंसर से बचाने के लिए हजारों गरीब बच्चियों को एक विवादित टीका लगाया जा रहा है और ऐसा करने के लिए सरकार, कंपनियां और गैरसरकारी संगठन नियम-कायदों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. शांतनु गुहा रे और कुणाल मजूमदार की रिपोर्ट नागेश्वर और वेंकटम्मा से जब कोई सरिता के बारे में पूछता है तो वे कुछ नहीं कहते. बस दीवार पर टंगी एक फोटो की तरफ इशारा कर देते हैं. आप कुछ...
More »आँखों को बेनूर कर रहा पानी- मीनाक्षी अरोड़ा
बिहार के भोजपुर जिले के बीहिया से अजय कुमार, शाहपुर के परशुराम, बरहरा के शत्रुघ्न और पीरो के अरुण कुमार ये लोग भले ही अलग-अलग इलाकों के हैं, पर इनमें एक बात कॉमन है, वो है इनके बच्चों की आंखों की रोशनी। इनके साथ ही सोलह और अन्य परिवारों में जन्में नवजात शिशुओं की आँखों में रोशनी नहीं है। इनकी आँखों में रोशनी जन्म से ही नहीं है। बिहार के...
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