SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1674

राष्ट्रीय औसत से भी 30 हजार रुपए कम है मप्र में प्रतिव्यक्ति आय

भोपाल, नईदुनिया प्रतिनिधि। मप्र की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 72 हजार 599 रुपए हो गई है। हालांकि ये देश की प्रति व्यक्ति आय से कम है। मंगलवार को वित्त मंत्री जयंत मलैया ने विधानसभा में साल 2016-17 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया, जिसमें यह आंकड़ें सामने आए। प्रचलित भावों पर देश में प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 3 हजार रुपए सालाना है।   प्रति व्यक्ति आय के मामले में मप्र अन्य राज्यों...

More »

असहमति के अस्वीकार का दौर-- पवन के वर्मा

यह तो मैं समझ सकता हूं कि अपने देश में कुछ लोग उमर खालिद से इत्तिफाक नहीं रखते. मैं यह स्वीकार करने को भी तैयार हूं कि कुछ लोगों के अनुसार उसके विचार राष्ट्रविरोधी हैं. लेकिन, जो कुछ मैं नहीं समझ सकता, वह यह कि चूंकि ये लोग उससे सहमत नहीं हैं, इसलिए वे उसे बोलने नहीं देंगे. और मुझे यह भी मंजूर नहीं कि देशभक्त होने की परिभाषा राष्ट्रीयता...

More »

झारखंड : 25 साल में एक भी नामांकन नहीं, शिक्षकों को बैठा कर दे दिये वेतन के पांच करोड़ रुपये

रांची : झारखंड में बिना विद्यार्थी के ही वोकेशनल कोर्स चल रहा है. राज्य के 57 प्लस टू हाइस्कूल में 25 ट्रेड में वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई होती है. इनमें कई ट्रेड ऐसे हैं, जिनमें आज तक एक भी नामांकन नहीं हुआ. सरकार शिक्षकों को नियुक्ति काल से ही बैठा कर वेतन दे रही है. आश्चर्य की बात है कि सरकार ने 25 साल तक इसकी समीक्षा ही...

More »

'जिन्होंने रिश्वत दी उन्हें सजा मिली, पर रिश्वत लेने वालों को सजा कब मिलेगी'

भोपाल। व्यापमं मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद प्रहलाद पटेल ने एक बार फिर ट्वीट कर पूछा है कि जिन्होंने रिश्वत दी उन्हें तो सजा मिल गई, पर जिन्होंने रिश्वत ली उन्हें सजा कब मिलेगी। तभी न्याय पूरा होगा। गुरुवार को प्रहलाद पटेल के ट्वीट से सत्ता और संगठन पर सवाल खड़े होने लगे थे। इसके बाद उन्होंने शुक्रवार सुबह फिर ट्वीट किए... - मेरी राय में जिन्होंने रिश्वत...

More »

पलायन का उर्वर प्रदेश--- हरेराम मिश्र

कुछ दिन पहले की बात है, जब मैं पलायन के परिदृश्य को समझने के लिए उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग यानी ‘पूर्वांचल' के जिलों में पलायन करने वाले कुछ श्रमिकों का ‘इंटरव्यू' कर रहा था। देवरिया जिले में, बातचीत के दौरान, एक श्रमिक ने कहा कि स्थानीय स्तर पर कोई काम-धंधा नहीं मिलता है इसलिए हमें देश के दूसरे हिस्सों में ‘नौकरी' खोजने के लिए जाना पड़ता है। उस श्रमिक...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close