भुखमरी आज के समाज की एक सच्चाई है परन्तु मध्यप्रदेश के सहरिया आदिवासियों के लिये यह सच्चाई एक मिथक से पैदा हुई, जिन्दगी का अंग बनी और आज भी उनके साथ-साथ चलती है भूख. अफसोस इस बात का है कि सरकार अब जी जान से कोशिश में लगी हुई है कि भूखों की संख्या कम हो. वास्तविकता में भले इसके लिये प्रयास न किये जायें लेकिन कागज में तो सरकार...
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हमारा बीपीएल और उनका आईपीएल- देविंदर शर्मा
2009 में जब विश्व आर्थिक मंदी की आग में जल रहा था और इसकी तपिश भारत में भी महसूस की जा रही थी, तब भारत ने तीन किस्तों में करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया था. हम सरकारी अनुदान हड़पने में किसानों और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को दोषी ठहराते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि उद्योग और व्यवसाय जगत इनसे कई...
More »अगले साल तैयार होगा वैश्विक समझौता
केपटाउन. बेसिक समूह ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन ने इच्छा जताई है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए 2011 तक कानूनी तौर पर बाध्यकारी एक वैश्विक समझौता तैयार हो जाना चाहिए। समूह ने इस बात पर भी जोर दिया है कि अमरीका इस मुद्दे पर अपने समझौते को अंतिम रूप दे,इसके लिए विश्व अंतहीन समय तक इंतजार नहीं कर सकता। समूह के नेताओं की रविवार को तीसरी बैठक हुई। बैठक...
More »विपक्ष के भारत बंद का असर, ट्रेन सेवाएं बाधित
नई दिल्ली /लखनऊ / कोलकोत्ता / पटना.price rice महंगाई पर केंद्र सरकार को घेरते हुए 13 प्रमुख विपक्षी दलों ने आज देश भर में बंद का आयोजन किया है। देश भर में आज सुबह से ही प्रमुख विपक्षी दलों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है। संसद में महंगाई पर भाजपा विपक्ष के साथ मिलकर कटौती प्रस्ताव लाने जा रही है और इस पर आज शाम को वोटिंग भी होने की...
More »भारत में जेंडर गैप- अभी मीलों आगे जाना है..
वैश्विक लैंगिक असमानता को अगर एक पैमाने पर बैठाकर देखें तो उसमें भारत की कहानी कुछ मामलों में चमकदार मगर ज्यादातर मामलों में बदरंग नजर आएगी। पहले चमकदार पहलू को लें। साल १९९३ में संविधान का ७३ वां(पंचायत) संशोधन पारित हुआ और इस संविधान संशोधन से तृणमूल स्तर की दस लाख महिलाएं आनन फानन में राजनीतित मशीनरी का हिस्सा बन गईं। कहानी का एक चमकदार पहलू जुड़ता है नेतृत्व के...
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