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राजशक्ति बनाम बाबाशक्ति- योगेन्द्र यादव

बेताल ने विक्रमादित्य से पूछा,‘कल तक जो सरकार बाबा रामदेव के सामने बिछी जा रही थी, वही अचानक दल-बल सहित उनके आंदोलन पर चढ़ क्यों बैठी? अगर बाबा लोकशक्ति के प्रतीक हैं तो सरकार की हिम्मत कैसे हुई कि उनके अनशन को तोड़े? अगर बाबा झूठे हैं, तो सरकार उनसे इतनी डरी क्यों थी?’ इक्कीसवीं सदी के बेताल और विक्रमादित्य किसी पेड़ नहीं बल्कि एक बड़ी टीवी स्क्रीन के नीचे...

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कोयला उत्पादन में पर्यावरण का पंगा

नई दिल्ली। [जागरण ब्यूरो] कोयला खनन के रास्ते से गो और नो-गो का अड़ंगा अभी पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुआ है कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने एक नई अड़चन खड़ी कर दी है। पर्यावरण और वन मंत्रालय [एमओईएफ] ने एक विभागीय आदेश के जरिए वन क्षेत्र में पड़ने वाली सभी कोयला खदानों के लिए पहले वन मंजूरी की बाध्यता लागू कर दी है। इससे उन सभी कोयला खदानों...

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अकाल, भुखमरी इस देश में कई समुदायों की जीवनसाथी है- विनायक सेन से आशीष कुमार अंशु की बातचीत

विनायक सेन को लेकर मीडिया और समाज में दो तरह की छवि है। एक विनायक सेन, जिन्हें हमेशा देश के दुश्मन के तौर पर पेश किया जाता है, दूसरे विनायक सेन वे जो आदिवासियों के शुभचिंतक हैं और गरीब समाज के मसीहा हैं। दोनों विचार अतिवादी हैं। इस तरह एक आम भारतीय असमंजस की स्थिति में है कि वह इन दोनों में से किसे सच माने और किसे झूठ! यदि हम मीडिया की नजर...

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धातु से जुड़े विनाश की कहानी : आउट ऑफ दिस अर्थ- सच्चिदानंद सिन्हा

गरीबों के हलके तसले और पतीलों से लेकर विशालकाय वायुयानों की काया बनाने वाले अल्युमिनियम के उत्पादन और विपणन के पीछे घोर शोषण और विध्वंस की जो गाथा छिपी है, उससे हममें से बहुत थोड़े लोग ही वाकिफ होंगे.  आधुनिक औद्योगीकरण आदम के आदिम अभिशाप की अभिव्यक्ति भर नहीं है. यह मनुष्य के परिवेश के बार-बार नष्ट होने, इससे विस्थापित होकर आजीविका की तलाश में संसार भर में भटकने और अमानवीय स्थितियों...

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ग्रीन हाउस गैसें, हम दूसरे नंबर पर : डूंगर सिंह राजपुरो

जयपुर. वाहनों, एसी, रेफ्रिजरेटर, उद्योगों से निकलने वाली ग्रीन हाउस गैसों (हानिकारक) की सूची में जयपुर देश में काफी आगे है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एन्वायरनमेंट एंड डवलपमेंट की हाल ही जारी रिपोर्ट के अनुसार जयपुर में प्रति व्यक्ति सालाना ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन 1.63 टन है, जो गुड़गांव को छोड़कर सर्वाधिक है। हालांकि इसमें मुंबई की स्थिति का अध्ययन नहीं किया गया है। जयपुर में हर साल करीब 56 लाख टन ग्रीन...

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