फ्रांस के समाजशास्त्री अलेक्सी डे टॉक्विले और ब्रिटेन के राजनीतिक दार्शनिक जॉन स्टुअर्ट मिल, दोनों ने 25 साल के अंतराल में लोकतंत्र के दो नए खतरों के प्रति आगाह किया था। पहले का मानना था कि इसमें बहुमत के आतंक के शिकार व्यक्ति के पास बचने का कोई चारा नहीं होता। दूसरे ने इस भय की ओर इंगित किया था कि प्रजातंत्र मात्र एक शासन पद्धति न होकर असंगठित भीड़ की...
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शुक्ल जी न होते, तो चंपारण की दुर्दशा नहीं देख पाते महात्मा गांधी
बिहार में महात्मा गांधी के आने की जब भी चर्चा होगी, वहां राजकुमार शुक्ल भी खड़े मिलेंगे. वह न होते तो शायद चंपारण के किसानों की दुर्दशा गांधी के बरास्ते दुनिया नहीं देख पाती. गांधी के सत्याग्रह के प्रयोग का हमसफर रहे राजकुमार शुक्ल का जन्म 23 अगस्त, 1875 को चंपारण जिला के लौरिया थाना के सतवरिया नामक गांव में हुआ था. इनके पिता कोलाहल शुक्ल थे. उन दिनों निलहों...
More »पौधे बचाने के लिए ढाई महीने में खोद दिया 25 फीट गहरा कुआं
बीना। पेयजल के लिए शासन पर पूरी तरह से आश्रित रहने वालों के लिए ग्राम हांसुआ के चैनसिंह लोधी ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। घर के आंगन में लगे 200 से अधिक पौधों के लिए अकेले चैनसिंह ने ढाई महीने में 25 फीट गहरा कुआं खोदा है। भागीरथी प्रयास के बाद अब कुएं से पानी निकलने लगा है जो पौधों के लिए संजीवनी का काम कर रहा है। यह...
More »मजदूरी करते वक्त 15 महीने की बच्ची को पत्थर से बांध देती है मां...
कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी करते वक्त एक मां अपनी 15 महीने की बच्ची ‘शिवानी' को पत्थर से बांध देती है। 40 डिग्री सेल्सियस की गरमी में जब लोग बाहर निकलना पसंद नहीं करते ऐसे में नन्हीं शिवानी नंगे पैर 9 घंटे इसी तरह बिताती है। शिवानी की मां सरता कलारा कहती है कि उसके पास इसके सिवाय कोई विकल्प नहीं है। वह और उसके पति 250 रुपए दिहाड़ी पर मजदूरी...
More »11 बीघा से नहीं मिला दाना, किसान ने लगा ली फांसी
सूखे में फसल की बर्बादी और कर्ज की चिंता में एक किसान ने फांसी लगाकर जान दे दी। वह अंत्योदय कार्डधारक भी था। उसकी 11 बीघा जमीन में अनाज का एक दाना भी नहीं हुआ था। नरैनी तहसील क्षेत्र के महुई गांव के मजरा धोबिन पुरवा, फतेहगंज निवासी मोहन (35) पुत्र महिपाल ने मंगलवार रात घर के खपरैल में रस्सी बांधकर फांसी लगा ली। घटना के समय घर के सभी लोग...
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