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चालीस साल बाद भी नहीं पहुंची बिजली

कोरबा (निप्र)। विद्युत संयंत्रों के 5 किलोमीटर की परिधि में आने वाली श्रमिक बस्तियों में मुफ्त बिजली की सुविधा दिए जाने की शासकीय योजना की धज्जियां ऊर्जानगरी में उड़ाई जा रही है। हैरत की बात तो यह है कि बालको एवं विद्युत कंपनी के पूर्व संयंत्र के बीच बसी डबरीपारा बस्ती में आज भी बिजली की सुविधा नहीं पहुंच सकी है। 40 साल पुरानी इस बस्ती में रहने वाले लोग...

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जो कुछ न किया उसे प्रतिष्ठा मिली, जिसने काम किया, उसे देश निकाला : नीतीश

पटना : पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के विकास को लेकर अपने दिल की बात सामने रखी. शुक्रवार को आद्री परिसर में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि कहा कि जो कुछ न करे, उसे प्रतिष्ठा मिली और जिसने काम किया, उसे देश निकाला हुआ. लेकिन, काम होना चाहिए. मैंने कोशिश की, काम हुआ. बालिका शिक्षा, पंचायतों में महिला आरक्षण, शौचालयों का निर्माण व सशक्तीकरण की अनेक योजनाओं को...

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शिक्षा में सजा नहीं, रचनात्मकता हो - अर्चना डालमिया

हमारे उपमहाद्वीप में दुनिया के लगभग 19 फीसदी बच्चे रहते हैं। देश की आबादी के एक-तिहाई से ज्यादा हिस्से की, करीब 44 करोड़ लोगों की उम्र 18 वर्ष से नीचे है। केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय के अध्ययन के मुताबिक इस आबादी में से 40 फीसदी को देखभाल और संरक्षण की जरूरत है। इससे पता चलता है कि देश में बच्चों को किस हद तक शारीरिक दुर्व्यवहार का सामना...

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महिलाओं को साइकिल बांटने के नाम पर बड़ा खेल

मनीष पांडे, रायपुर। श्रम विभाग के अधिकारियों ने महिलाओं को साइकिल बांटने के नाम पर बड़ा खेल किया है। विभाग ने अकेले राजधानी में 114 साल की 1452 महिलाओं को साइकिल बांट दी। श्रम विभाग से जब महिलाओं को साइकिल बांटने के बारे में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई, तो गड़बड़झाले का खुलासा हुआ। यही नहीं, आपको जानकर हैरत होगी कि राजधानी की एक 213 साल की महिला...

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शक्ति की करो तुम मौलिक कल्पना- रमेशचंद्र शाह

जनसत्ता 14 जुलाई, 2014 : भीतर और बाहर के सूने सपाट में अकस्मात यह कैसी तरंग उठी और उठ कर फैलती ही गई! महज एक काव्य-पंक्ति, सबकी जानी-मानी एक सुविख्यात कवि की क्यों इस तरह अयाचित और अकस्मात मन में कौंध उठी कि मुझे लगने लगा- मुझे जो कुछ कहना था वह मैंने कह दिया और कहने के साथ ही कर भी दिया। कुछ इस तरह कि मानो जो कुछ भीतर...

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