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प्राकृतिक खेती से पटखनी खाती आधुनिक खेती- सुभाष शर्मा

मैं महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कृषि कार्य करता हूं. वहां 1975 से आज तक मैं खेती कर रहा हूं. 1960 के बाद जो खेती में व्यवस्थाएं प्रारंभ हुईं, वहीं से मैंने शुरु आत की थी. अब तक मुझे कृषि विज्ञान दो स्वरूपों में दिखा है. जब मैंने खेती प्रारंभ की तो उस समय परावलंबन का विज्ञान था. उस वक्त मैंने रासायनिक खाद, जहरीली दवाईयां और बाहर से बीज लाकर खेती...

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जीएम बीज की पैदावार में पहले बढ़त लेकिन बाद में कमी

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसुमरिया ने कहा है कि जेनेटिकली मॉडीफाइड (जीएम) फसलों को अनुमति दिए जाने से भारतीय किसानों बहुराष्ट्रीय कंपनियों के 'गुलाम' बन जाएंगे। उन्होंने जीएम फसलों और इनके लिए प्रस्तावित बायो-टैक्नॉलोजी रेगुलेटरी अथॉरिटी और एग्रीकल्चर बायो-सिक्योरिटी बिल का विरोध किया है। राज्य के कृषि मंत्री ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे, सांसदों और सभी मुख्यमंत्रियों को भेजे पत्र में कहा है कि अमेरिका और यूरोप के देश...

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पंचायतों निकायों को मिली पशुपालन व मत्स्य विभाग की जिम्मेवारी

निधि (पैसों) पर सिर्फ जिला परिषद का अधिकार कार्य व कर्मी की जिम्मेवारी तीनों स्तरों पर बांटी गयी झारखंड सरकार ने पशुपालन एवं मत्स्य विभाग के अंतर्गत पशुपालन, गव्य विकास व मत्स्य विभाग से संबंधित अधिकार पंचायत निकायों को सौंपे हैं. इससे पूर्व समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग, कृषि एवं गन्ना विभाग, शिक्षा विभाग सहित कुछ अन्य विभागों के अधिकार पंचायत निकायों को स्थानांतरित किये गये हैं. एक जून 2013...

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अन्ना हजारे जी.एम. फसल बिल संसद में पारित होने से रोकने की पहल करें

भोपाल : किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डा. रामकृष्ण कुसमारिया ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से अनुरोध किया है कि वे एग्रीकल्चर बायो सिक्योरिटी बिल तथा बायो टेक्नालाजी अथारिटी आफ इण्डिया जैसे बिल संसद में पारित होने से रोकने की पहल करें. कुसमरिया ने अन्ना हजारे को लिखे एक पत्र में कहा है कि इन बिलों के पारित होने से देश में जी.एम. फसलों को पिछले दरवाजे से लाने से किसानों...

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लाह की खेती से बेड़ाडीह में आयी खुशहाली

रांची के नामकुम प्रखंड की हहाप पंचायत का घने जंगलों के बीच बसा बेड़ाडीह गांव के लोग पहाड़ी-पथरीली भूमि पर थोड़ी-बहुत खेती कर व कुछ वनोपज तैयार कर अपनी जीविका चलाते रहे हैं. अन्य वनोपज की तरह वे लाह का भी उत्पादन करते रहे हैं, लेकिन तकनीक व वैज्ञानिक सोच के अभाव में ग्रामीणों में इससे आर्थिक समृद्धि नहीं आयी. किसी तरह लोग अपना गुजर-बसर कर लेते थे. पर, नामकुम...

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