नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने किशोर न्याय कानून में किशोर शब्द की नये सिरे से व्याख्या के लिये दायर याचिकाओं पर मंगलवार को अंतिम सुनवाई शुरु कर दी. इन याचिकाओं में अनुरोध किया गया है कि जघन्य अपराध में लिप्त किशोर की स्थिति का निर्धारण किशोर न्याय बोर्ड पर छोड़ने की बजाये इसे फौजदारी अदालतों पर छोड़ा जाये. ये याचिकायें भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी और 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार...
More »SEARCH RESULT
खेतिहर मजदूरों की संख्या घटने का अर्थ
वर्ष 2001 की जनगणना के मुताबिक देश के 58.2 फीसदी कामगार कृषि एवं संबंधित क्षेत्र से अपनी जीविका चला रहे थे. इस तसवीर का दूसरा पहलू यह है कि पिछले दो दशकों में भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी लगातार कम हुई है. 2012-13 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह आंकड़ा 14.1 प्रतिशत था. दोनों आंकड़ों की तुलना करें, तो यह एहसास होगा कि कृषि अब फायदे...
More »देश में पिछले दशक में औसत आयु 5 साल बढ़ी
देशभर के स्वास्थ्य संकेतकों में महत्वपूर्ण सुधार देखने में आया है। पिछले दशक में मनुष्य की औसत आयु (जीवन प्रत्याशा) में भी 5 वर्षो तक की वृद्धि हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से जारी बयान के अनुसार, वर्ष 2001-2005 में पुरुषों की औसत आयु 62.3 वर्ष और महिलाओं की 63.9 वर्ष थी। वर्ष 2011-2015 में यह आयु बढ़कर पुरुषों के मामले में 67.3 वर्ष और महिलाओं के मामले...
More »झारखंड पर बिहार के पेंशन मद का 7000 करोड़ बाकी है, केंद्र दिलायेगा झारखंड से पैसा
पटना: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बिहार सरकार के तर्को पर सहमति जताते हुए झारखंड से बकाया पैसा दिलाने का आश्वासन दिया है. दो दिन पूर्व केंद्रीय गृह मंत्रालय के अपर सचिव से वित्त विभाग के प्रधान सचिव रामेश्वर सिंह ने भेंट कर झारखंड पर कार्रवाई का अनुरोध किया था. झारखंड सरकार पर पेंशन मद का लगभग सात हजार करोड़ से अधिक का बकाया है. ढ़ाई वर्ष पूर्व तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव...
More »राजनीति का सूचकांक क्यों नहीं- अनिल जोशी
वर्तमान राजनीति में सभी असहाय-से लगते हैं। सबसे पीड़ित तो जनता ही है, जिसकी हर बार चुनाव में फेरबदल करने की कोशिश लगभग बेकार-सी हो जाती है, क्योंकि वही ढाक के तीन पात। राजनेता भी खुश-खुश से नहीं दिखते, क्योंकि अब चुनाव के बाद जो भी जनादेश आता है, वह आधा-अधूरा सा रहता है। फिर जोड़-तोड़ का नया खेल शुरू हो जाता है। मगर बात सत्ता की है, किसी न किसी...
More »