भारतीय जनगणना, 2011 के अनुसार, देश में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों की संख्या देश की कुल आबादी में 25 प्रतिशत से ज्यादा हो गयी है. इनमें 16.6 प्रतिशत दलित हैं और 8.6 प्रतिशत आदिवासी हैं. ये दो अन्य संज्ञाएं हैं, जिनके द्वारा इन समुदायों (जिन्हें अंगरेज अनटचेबल और ट्राइबल कहा करते थे) को संबोधित किया जाता है. भारत की एक चौथाई आबादी का अर्थ...
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नौकरी छोड़ गांव की तस्वीर बदलने में जुटा इंजीनियर
जगदलपुर। विकास से कोसों दूर नक्सल प्रभावित दरभा ब्लॉक के ग्राम पंचायत गुमड़पाल की कमान एक ऐसा आदिवासी युवक पंडरू राम संभाल रहा है, जो केरल से बीटेक (मैकेनिकल) की डिग्री लेकर लौटा है। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले पंडरू को शहर की चकाचौंध रास नहीं आई और उन्होंने अपने गांव को विकसित करने का संकल्प लिया। 2010 में चुनाव लड़कर जनपद सदस्य बने और आदिवासियों का पलायन रोकने की दिशा...
More »जेलों पर बढ़ते बोझ के मायने-- पंकज चतुर्वेदी
इरफान फरवरी 2007 में समझौता एक्सप्रेस से दिल्ली आया था, वापसी में उसमें बम फटा और उसका पूरा सामना जल गया। पुलिस ने उसे अस्पताल से उठाया व बगैर पासपोर्ट के भारत में रहने के आरोप में अदालत में खड़ा कर दिया। उसे चार साल की सजा हुई। तब से वह जेल में है यानी आठ साल से। वहां मिली यातना व तनहाई से वह पागल हो गया। पाकिस्तान में...
More »जशपुर क्षेत्र में नदी पार कर स्कूल जाने की मजबूरी
जशपुरनगर (निप्र) । आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले में शिक्षा के लिए बुनियादी सुविधा जुटाने के सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे है। प्रशासन के लाख दावे के बाद भी आज भी कई हो आदिवासी बाहुल्य गांवों में लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। आज भी कई गांवों में पुल न होने को कारण यहां के बच्चों को नदी पार कर स्कूल जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति नगर पंचायत...
More »किसानों की खुदकुशी के सबब- विनोद कुमार
जरा गौर कीजिए कि इसी देश में करीब अठारह-बीस करोड़ भूमिहीन दलित, अति पिछड़े मजूर हैं। उनके जीवन में यह मौका ही नहीं आता कि वे बैंक से कर्ज लें, खेती करें, उनकी फसल नष्ट हो और वे आत्महत्या कर लें। इसका अर्थ यह नहीं कि हम किसानों की आत्महत्या से पीड़ा का अनुभव नहीं करते। लेकिन इस बात को समझना तो होगा कि एक भूमिहीन किसान या मजूर आत्महत्या न...
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