सरकार लोगों को मुझसे प्रेम करने के लिए तैयार नहीं कर सकती, मगर भीड़ को मेरी जान लेने से जरूर रोक सकती है। तफरीहन, यूरोप की हसीन वादियों में घूम रहे मेरे एक आत्मीय को पिछले दिनों मार्टिन लूथर किंग जूनियर के ये शब्द बार-बार याद आए। वजह? उनसे बार-बार घुमा-फिराकर पूछा गया कि आप हिन्दुस्तानी क्या बलात्कारी और रक्त पिपासु हैं? जवाब में उन्होंने पुरातन संस्कृति से लेकर नई...
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वैश्विक शांति सूचकांक में भारत का दर्जा पहले से बेहतर लेकिन अंदरुनी संघर्ष के मोर्चे पर हालात चिन्ताजनक
नये वैश्विक शांति सूचकांक रिपोर्ट में भारत की स्थिति पिछले साल के मुकाबले बेहतर हुई है लेकिन समाजी अमन और सियासी स्थिरता के एतबार से रिपोर्ट से निकलते संकेत भारत के लिए चिन्ताजनक हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सत्ता के शिखर पर ताकत के सिमटते जाने के कारण भारत का अंकमान सियासी अतिवाद तथा अंदरुनी संघर्ष के पैमाने पर चिन्ताजनक ऊंचाई पर है. रिपोर्ट में भारत को 163 देशों की सूची में इस साल...
More »शिक्षा की चिंताजनक स्थिति-- आशुतोष चतुर्वेदी
किसी भी देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति उस देश की शिक्षा पर निर्भर करती है. शिक्षित समाज ही आगे बढ़ता है. अच्छी शिक्षा के बगैर बेहतर भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती. अगर देश की शिक्षा नीति अच्छी है, तो उस देश को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता. अगर शिक्षा नीति अच्छी नहीं होगी, तो विकास की दौड़ में वह देश पीछे...
More »नहरों से घिरा है पूर्व बर्दवान का यह गांव, अब भी धरती के ‘लाल’ तैर कर जाते हैं स्कूल
कोलकाता : पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री कभी गंगा नदी तैरकर स्कूल जाते थे. यह बात सौ साल से अधिक पुरानी हो गयी है. अब तो विज्ञान चांद ही नहीं, मंगल ग्रह पर भी कदम रखने की तैयारी कर रहा है. शासन-प्रशासन की ओर से जब-तब तरक्की का डंका पीटा जाता है. लेकिन आज भी पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्दवान जिले के कटवा सब डिवीजन के उद्धरणपुर विधानपल्ली गांव के...
More »आर्थिक प्राणवायु बनी नकदी-- मोहन गुरुस्वामी
देश के विभिन्न हिस्सों में एटीएम नकदी से रिक्त पड़े हैं और आम आदमी बेहाल है. तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में हालात ज्यादा कठिन हैं, जिनकी सीमाएं बड़े दांववाले आसन्न चुनावों के राज्य कर्नाटक से लगी हैं. इस किल्लत की सहज व्याख्या तो यही नजर आती है कि उपलब्ध नकदी कर्नाटक की जनता को सुशासन देने की स्पर्धा में लगे बड़े पक्षों के सुरसाकार मुखों का ग्रास बन गयी...
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