भोपाल। दस दिन चले हिंसक किसान आंदोलन ने मध्यप्रदेश के साथ-साथ पूरे देश को झकझोर दिया है। इस आंदोलन ने सूबे के मुखिया से लेकर प्रशासन, विपक्ष और जनता को भी कुछ संदेश दिए हैं। पेश है नईदुनिया की रिपोर्ट... किसान : थम्स अप फसल की लागत मूल्य और कर्ज माफी के लिए शुरू हुआ आंदोलन कई मुद्दों पर लगभग सफल रहा है। शिवराज ने फसल को समर्थन मूल्य से नीचे नहीं...
More »SEARCH RESULT
हमें और मंदसौर नहीं चाहिए-- शशिशेखर
दसौर की घटना पर आंसू बहाने वाले दिल कड़ा कर लें, क्योंकि असंतोष की चिनगारियां देश के कई हिस्सों में छिटक रही हैं। कारण? गांवों और कस्बों में रहने वाली देश की बड़ी आबादी के लिए ताकतवर भारतीय राष्ट्र-राज्य अब भी दूर की कौड़ी है। क्या हमें इस बात पर शर्म नहीं आनी चाहिए कि कृषि-प्रधान कहलाने वाले देश की कोई कारगर ‘राष्ट्रीय कृषि नीति' नहीं है? 1947 से अब...
More »किसान संगठन हरियाणा में भी करेंगे आंदोलन तेज
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन की लपटें हरियाणा तक भी पहुंच सकती हैं। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की राज्य इकाई ने इन तीनों राज्यों के किसान आंदोलन का समर्थन किया है। यही नहीं, भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी शुक्रवार को नयी दिल्ली में होने वाली किसानों की राष्ट्र स्तर की बैठक में भाग लेंगे। इसके बाद वे हरियाणा यूनिट की मीटिंग करके आंदोलन की...
More »अन्नदाता क्यों गोली खाये?-- राकेश पाठक
ध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद को किसान का बेटा, धरतीपुत्र आदि बताते नहीं थकते, लेकिन उनके राज में अन्नदाता किसान किस कदर जुल्म का शिकार है, इसकी कथा मंदसौर में लिख दी गयी. बीते मंगलवार को मालवा की धरती किसानों के खून से सींची गयी. पुलिस की बर्बरता ने छह किसानों के सीने गोलियों से छलनी कर दिये. अब भी किसानों के सीने में आग धधक रही...
More »किसान आंदोलन: मंदसौर से पहले नंदीग्राम, सिंगुर, भट्टा-पारसौल और टप्पल में भी मारे गए अन्नदाता
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के पिपल्यामंडी में किसान आंदोलन के उग्र होने के कारण पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और कथित तौर पर गोलियां भी चलायीं। गोलियां लगने के कारण 6 किसानों की मौत हो गई और दो घायल हो गए। इन घटनाओं के बीच पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच पिपल्यामंडी और आसपास के इलाकों में जमकर हिंसक घटनाएं और उपद्रव हुआ। आंदोलनकारी किसान...
More »