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कोरोना का असर - किसान 25 फीसदी नीचे दाम पर दूध बेचने को मजबूर, महाराष्ट्र सरकार खरीद जारी रखेगी

-आउटलुक, कोरोना काल में दूध की खपत घटने की सीधी मार किसानों पर पड़ी है। खपत कम होने की वजह से किसानों को दूध 25 फीसदी तक नीचे दाम पर बेचने को मजबूर हैं। महाराष्ट्र सरकार ने जुलाई अंत तक राज्य के किसानों से 25 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध की खरीद जारी रखने का फैसला किया है। होटल, रेस्तरां, कैंटीन और हलवाई की दुकानों में दूध की खपत घट...

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कोरोना संकट के बीच जिंदा रहने का संघर्ष करते रोहिंग्या शरणार्थी

-द क्विंट, कोरोना वायरस की मार न केवल स्वास्थ्य, बल्कि आर्थिक नजरिए से भी लोगों पर पड़ी है. ऐसी स्थिति में रोहिंग्या रिफ्यूजियों की हालत भी खराब है. परेशान होकर अपनी जगह से भागकर दूसरे देश में शरण लेने पर मजबूर रोहिंग्याओं पर इस महामारी में दोहरी मार पड़ी है. भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, इनमें भी महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद सबसे ज्यादा मार दिल्ली...

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सैनिटाइज़र खरीदने से पहले चेक कर लें, उसमें ये केमिकल तो नहीं है

-लल्लनटॉप, कोरोना काल में हैंड सैनिटाइज़र का इस्तेमाल बढ़ गया है. अलग-अलग तरह के सैनिटाइज़र्स बाज़ार में उपलब्ध हैं. ऐसे में सीबीआई ने मेथनॉल बेस्ड सैनिटाइजर्स के इस्तेमाल को लेकर सतर्क किया है. सीबीआई ने अलर्ट जारी किया है कि यह मानव शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है.  दरअसल, सैनिटाइजर्स में एल्कोहल मिलाया जाता है. दवाइयों में इस्तेमाल होने वाले क्लिनिकल एल्कोहल को एथनॉल कहते हैं. इसे फलों और फसलों को...

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बिहार में पीडीएस का हाल, मांगा अनाज, मिली जेल

-बीबीसी,  बीती 7 जून को बिहार के अरवल के अनुमंडल कार्यालय में राशन कार्ड बनाने और उसका सत्यापन करवाने के लिए भीड़ उमड़ी थी. हज़ारों की इस भीड़ के लिए सरकारी 'सोशल डिस्टैंसिंग' की बात बेमानी थी. राशन कार्ड के लिए लाइन में सबा परवीन भी खड़ी थी. इस कोरोना कॉल में उनके लिए सरकारी खाद्यान्न सहायता अब जीने-मरने का सवाल बन चुकी है. जीने-मरने का ये सवाल सिर्फ़ अरवल जिले के लोगों के...

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टूटी हुई खाद्य प्रणाली और किसानों के लिए फ्री मार्केट का औचित्य?

-गांव कनेक्शन,  "1980 के दशक में किसान प्रत्येक डॉलर में से 37 सेंट घर ले जाते थे। वहीं आज उन्हें हर डॉलर पर 15 सेंट से कम मिलते हैं," यह बात ओपन मार्केट इंस्टीट्यूट के निदेशक ऑस्टिन फ्रेरिक ने कंजर्वेटिव अमेरिकन में लिखी है। उन्होंने इस तथ्य के जरिये इशारा किया कि पिछले कुछ दशक में किसानों की आमदनी घटने की प्रमुख वजह चुनिंदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती आर्थिक ताकत है।...

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