कुछ ही दिन पहले झारखंड के सिमडेगा जिले में संतोषी नाम की बच्ची की भूख से हुई मृत्यु कई बड़े-बड़े राजनीतिक दावों को झुठलाती है. हालांकि, मलेरिया और भूख के कारणों के बीच ही पूरा मुद्दा केंद्रित हो गया. लेकिन, यह बदलते समय में बुनियादी जरूरतों की पहुंच व उपलब्धता पर एक बड़ा सवाल है. सिमडेगा झारखंड के दक्षिणी हिस्से में उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की सीमा पर जंगलों से...
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भुखमरी से निपटने की चुनौती-- निरंकार सिंह
दुनिया की 7.1 अरब आबादी में अस्सी करोड़ यानी बारह फीसद लोग भुखमरी के शिकार हैं। बीस करोड़ भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या के साथ भारत इसमें पहले नंबर पर है। यह हाल तब है जब दुनिया में भरपूर अनाज और अन्य खाद्य पदार्थों की पैदावार हो रही है। दुनिया भर में कहीं गृहयुद्ध तो कहीं प्राकृतिक आपदाओं के चलते लोग अपने घरों, अपने देश से दर-बदर हो रहे...
More »छोटे कदमों से बड़े बदलाव-- वरुण गांधी
कायदे से तो भारत के गांवों में कोई परेशानी ही नहीं होनी चाहिए थी- आखिर कृषियोग्य भूमि के मामले में हमारा देश दुनिया में दूसरे स्थान पर है. लेकिन, उपजाऊ जमीन के एक तिहाई पर ही सिंचाई की सुविधा है, बाकी क्षेत्र बारिश पर निर्भर है. छोटी होती जोत और खेती की बढ़ती लागत से किसान पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2014 से 17 के...
More »कर्जमाफी की दुश्वारियां-- कृष्णप्रताप सिंह
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में पिछले मार्च में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से सत्ता में आई भाजपा सरकार छह महीने की होते-होते कई तरह की मुसीबतों से घिर गई है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में मासूमों की मौतों को लेकर हुई सरकार की किरकिरी पूरे देश में चर्चा का विषय बनी थी। अब उत्तर प्रदेश सरकार की बहुप्रचारित किसान ऋणमोचन योजना भी एक...
More »'पंजाब जैसे न हो जाएं MP के हालात, कई क्षेत्रों में विकास दर नीचे'
भोपाल। नीति आयोग ने मप्र सरकार को आईना दिखाते हुए कहा है कि प्रदेश ने कृषि क्षेत्र में भले ही विकास किया हो, लेकिन अन्य क्षेत्रों में प्रदेश राष्ट्रीय औसत से भी पीछे है। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र ने सोमवार को मप्र के विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा कि मप्र को पंजाब मत बनाइए। यह अच्छी बात है कि कृषि क्षेत्र में...
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