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हमारे लोकतंत्र का संकट- शिवदयाल

जनसत्ता 16 अक्टुबर, 2012: दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, सवा अरब लोगों का। छह-सात प्रतिशत की दर से बढ़ती अर्थव्यवस्था। पर इसकी अधिकांश आबादी को अब तक ‘ट्रिकल डाउन’ यानी अमीरों के उपभोग से रिस कर मिलने वाले लाभ का ही आसरा है। छीजते जाते संसाधन, बिगड़ता जाता पर्यावरण, जलावतनी और विस्थापन, एक-दूसरे को काटती और खारिज करती पहचानें, लगभग एक-तिहाई से भी अधिक भूभाग सैन्यबलों के भरोसे, और इतने पर भी धन...

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चिदंबरम के बयान से बवाल

बैंगलोर : आज गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने बैंगलोर में एक विवादित बयान दिया है. चिदंबरम ने अपने बयान में कहा है कि लोग 15 से 20 रू का पानी खरीद कर पी सकते है या आईसक्रीम खा सकते हैं मगर 1 रू चावल या गेंहू के दाम बढते है तो लोग बवाल मचाने लगते हैं. बीजेपी ने चिदंबरम के इस बयान का खंडन करते हुये कहा है कि चिदंबरम गरीबों का मजाक...

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सोशल नेटवर्किंग साइट के मुद्दे पर सिब्बल को मिला काटजू का साथ

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (एजेंसी) सोशल नेटवर्किंग साइट के मुद्दे पर टेलीकॉम मंत्री कपिल सिब्बल को आज प्रेस काउन्सिल का साथ मिला। काउन्सिल के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने इन बेवसाइटों पर ‘आपत्तिजनक सामग्रियों’ को हटाने की वकालत की है क्योंकि इससे धार्मिक घृणा फैल सकती है । काटजू ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘कुछ तस्वीरों और सामग्रियों में खास समुदायों के धार्मिक प्रतीकों को बेहद आपत्तिजनक और अश्लील ढंग से दिखाया...

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निर्णायक प्रतिरोध का समय : चेतन भगत

हम सभी का सामना किसी ऐसे ‘अंकल’ से हुआ होगा, जो समय-समय पर हमें याद दिलाते रहते हैं कि इस देश का भगवान ही मालिक है। उनकी हर बात का लब्बोलुआब यह रहता है कि भारत एक भ्रष्ट और नाकारा देश है, जहां जिंदगी गुजारना मुश्किल है। वे हमें बताते हैं कि आरटीओ से लेकर राशन की दुकान और नगर पालिका तक हर सरकारी अधिकारी घूस खाता है। वे हमें यह भी...

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लोकतंत्र में शॉर्टकट नहीं होता : हर्ष मंदर

वह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण था, जब देशभर के मध्यवर्गीय युवा भ्रष्ट प्रशासन के प्रति आक्रोश व्यक्त करने के लिए एकजुट हुए। हमारा देश कई विरोध प्रदर्शनों का साक्षी रहा है। कुछ हिंसक तो कुछ शांतिपूर्ण। कुछ वेतन व भूमि के लिए तो कुछ आत्मसम्मान व मानवाधिकारों के लिए। लेकिन यह आंदोलन कुछ अलग था। दशकों बाद हमने शिक्षित और संपन्न युवाओं को इतने बड़े पैमाने पर...

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