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मीडिया स्टडीज ग्रुप का सरकारी हिंदी वेबसाइट का सर्वेक्षण

मीडिया स्टडीज ग्रुप का सरकारी हिंदी वेबसाइट का सर्वेक्षण सरकार की वेबसाइटों पर हिंदी की घोर उपेक्षा दिखाई देती है। हिंदी को लेकर भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय, विभाग व संस्थान के साथ संसद की वेबसाइटों के एक सर्वेक्षण से यह आभास मिलता है कि सरकार को हिंदी की कतई परवाह नहीं हैं। सर्वेक्षण में शामिल वेबसाइटों के आधार पर यह दावा किया जा सकता है कि हिंदी भाषियों के एक भी मुकम्मल सरकारी वेबसाइट...

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समूचा झारखंड बुधनी है, पर वह कहां है किसी को पता नहीं!- अश्विनी कुमार पंकज

बारह वर्षों के झारखंड में आज अगर हूल की प्रासंगिकता समझनी हो तो बुधनी को जानना जरूरी है। हालांकि सांस्कृतिक अतिक्रमण और हमले से गुजर रहे आज के झारखंड में अब ‘बुधनी’ जैसे ठेठ आदिवासी नाम नहीं मिलते हैं फिर भी रजनी, रोजालिया, रजिया जैसे नामों वाली आदिवासी स्त्रियां रोज ‘बुधनी’ बनने के लिए अभिशप्त हैं। कौन है यह बुधनी और ‘हूल’ के संदर्भ में उसकी चर्चा क्यों जरूरी है?...

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विकास का पैसा कहां जाता है- विनीत नारायण

राज्य सरकारों ने 'वाटरशेड’ कार्यक्रम की जो रिपोर्ट भेजी है, उससे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश सहमत नहीं हैं। बंजर भूमि, मरूभूमि और सूखे क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए केंद्र सरकार हजारों करोड़ रुपये राज्य सरकारों को देती आई है। लेकिन जिले के अधिकारी और नेता मिलीभगत से सारा पैसा डकार जाते हैं। झूठे आंकड़े राज्य सरकारों के माध्यम से केंद्र सरकार को भेज दिए जाते हैं। आईआईटी के पढे़ श्री रमेश को कागजी...

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रेणु के गांव में आज भी जिंदा हैं ‘मैला आँचल’ के पात्र- संजीव चंदन की रिपोर्ट(तहलका)

पूर्णिया में प्रगतिशील लेखक संघ के राज्य अधिवेशन में शिरकत करने के दौरान रेणु जी के गाँव जाना संभव हुआ. औराही हिंगना  को, रानी गंज के इलाके  ( मैला आँचल में मेरीगंज ) को, जहाँ फणीश्वर नाथ रेणु का पुश्तैनी घर है, जो मैला आँचल और परती-परिकथा सहित उनकी कई कहानियों की आधारभूमि है,  जहां पंचलैट के टोले हैं, जहाँ तीसरी कसम  के जीवंत पात्र और कसबाई तथा ग्रामीण समाज ...

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कैग की रिपोर्ट से घेरे में दिल्ली दरबार

नई दिल्ली।। कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में भ्रष्टाचार पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट संसद में पेश कर दी गई। इसमें पीएमओ, दिल्ली राजनिवास, दिल्ली सरकार, खेल मंत्रालय और केंद्रीय व दिल्ली सरकार की निर्माण एजेंसियों पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। 745 पेज की यह रिपोर्ट कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में बड़े पैमाने पर नेताओं और निर्माण एजेंसियों द्वारा मचाई गई ' बंदरबांट ' का पर्दाफाश करती...

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