वे गांव लौटे तो नक्सलवादियों का निशाना बन जाएंगे और यदि राहत शिविरों में रहते हैं तो उन्हें अमानवीय परिस्थितियों के बीच ही बाकी जिंदगी गुजारनी पड़ेगी. सलवा जुडूम अभियान के दौरान बस्तर के राहत शिविरों में रहने आए हजारों ग्रामीण आदिवासी आज त्रिशंकु जैसी स्थिति में फंसे हैं. राजकुमार सोनी की रिपोर्ट कोतरापाल गांव की प्रमिला कभी 15 एकड़ खेत की मालकिन थी, लेकिन गत छह साल से वह अपने...
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रबी फसलों को 101 करोड़ रुपये फसली ऋण वितरित
रायपुर। छत्तीसगढ़ में किसानों को रबी फसलों के लिए अब तक 101 करोड़ रुपये से ज्यादा ऋण उपलब्ध कराया गया। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यहा यह जानकारी दी। राज्य सरकार की नीति के अनुसार किसानों को मात्र तीन प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर खेती के लिए अल्पकालिक ऋण दिया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य की एक हजार 333 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से...
More »अन्न स्वराज- वंदना शिवा
भोजन का अधिकार जीने के अधिकार से जुड़ा हुआ है और संविधान का अनुच्छेद 21 सभी नागरिकों को जीने का अधिकार प्रदान करता है। इस लिहाज से प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक स्वागतयोग्य है। पिछले दो दशकों में भारत में भूख एक बड़ी समस्या के रूप में उभरी है। 1991 में जब आर्थिक सुधार कार्यक्रम शुरू किए गए थे, तब प्रति व्यक्ति भोजन की खपत 178 किलोग्राम थी, जो 2003 में...
More »किसानों को 1150 करोड़ का फसल ऋण वितरित
रायपुर। छत्तीसगढ़ में चालू खरीफ मौसम में फसलों के लिए किसानों को 1150 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यहा बताया कि छत्तीसगढ़ के किसानों को चालू खरीफ मौसम में धान सहित विभिन्न फसलों की खेती के लिए अब तक लगभग साढ़े 11 सौ करोड़ रुपये का अल्पकालिक कृषि ऋण वितरित किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक के अधिकारियों ने...
More »बीज विधेयक किसानों की हित-रक्षा में नाकाम
बीज विधेयक 2010 संसद के मौजूदा सत्र में बहस के बाद पारित किए जाने के लिए तैयार है। इस विधेयक का शुरुआती मसौदा किसानों के बजाय कृषि-व्यवसायियों के फायदे में होने के कारण विवादास्पद साबित हुआ था। पहले संसदीय स्थायी समिति और फिर सर्वदलीय बैठक में विचार-विमर्श के बावजूद कई किसान संगठनों, विपक्षी राजनीतिक दल तथा नागरिक संगठनों का मानना है कि यह विधेयक छोटे और सीमांत किसानों के हितों की रक्षा में सफल नहीं...
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