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जॉब कार्ड (JC) के लिए आवेदन करने वाले 45.6 लाख परिवारों को साल के आखिर तक जारी नहीं हुआ जॉब कार्ड

पीपल्स एक्शन फ़ॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी (PAEG) का नवीनतम ट्रैकर देश में MGNREGA के कार्यान्वयन की स्थिति पर केंद्रित है. ट्रैकर की मुख्य विशेषताएं: 1. इस साल 1.3 करोड़ जॉब कार्ड जारी किए गए. 2. 13 प्रतिशत की मांग पूरी नहीं हो सकी. वर्ष में किसी समय 97 लाख परिवारों की मांग पूरी नहीं की गईं. 3. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 1 करोड़ से अधिक परिवारों ने नरेगा में काम किया है, लेकिन इस वर्ष प्रति परिवार...

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मनरेगा : पांच महीनों में ही खत्म हो गया आधे से ज्यादा बजट, 'गांवों में काम की मांग बहुत ज्यादा है, लोग काम मांग रहे हैं'

-गांव कनेक्शन, "एक महीने से हमें काम नहीं मिला है, मेरे अल्लीपुर गाँव में ही कम से कम 250 लोग मनरेगा में काम करते हैं, मगर अभी कहीं काम नहीं चल रहा, लोग पंचायत में काम मांगने जाते हैं, मगर कहीं कुछ नहीं, गांवों में अभी भी मनरेगा में काम की मांग बहुत ज्यादा है, लोग काम मांग रहे हैं," सालों से मनरेगा में मजदूरी करती आ रहीं रामबेटी बताती हैं। देश...

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हर चार में से तीन ग्रामीण भारतीयों को नहीं मिल पाता पौष्टिक आहार: रिपोर्ट

-द वायर, इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा प्रकाशित एक पेपर में कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले हर चार में से तीन भारतीयों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है. बता दें कि हाल में जारी वैश्विक भूख सूचकांक 2020 में भारत 107 देशों की सूची में 94वें स्थान पर है और भूख की ‘गंभीर’ श्रेणी में है. विशेषज्ञों ने इसके लिए खराब कार्यान्वयन प्रक्रियाओं, प्रभावी निगरानी की कमी, कुपोषण से निपटने का...

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मनरेगा : पांच महीनों में ही खत्म हो गया आधे से ज्यादा बजट, 'गांवों में काम की मांग बहुत ज्यादा है, लोग काम मांग रहे हैं'

-गांव कनेक्शन,"एक महीने से हमें काम नहीं मिला है, मेरे अल्लीपुर गाँव में ही कम से कम 250 लोग मनरेगा में काम करते हैं, मगर अभी कहीं काम नहीं चल रहा, लोग पंचायत में काम मांगने जाते हैं, मगर कहीं कुछ नहीं, गांवों में अभी भी मनरेगा में काम की मांग बहुत ज्यादा है, लोग काम मांग रहे हैं," सालों से मनरेगा में मजदूरी करती आ रहीं रामबेटी बताती हैं।...

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अर्थात‍ः राहत ऐसी होती है !

-इंडिया टूडे, मुंबई में दो साल तक काम करने के बाद, सि‍तंबर 2019 में कीर्ति की मेहनत कामयाब हुई, जब उसे लंदन की मर्चेंट बैंकिंग फर्म में नौकरी मिल गई. वह लंदन को समझ पाती इससे पहले कोविड आ गया. नौकरी खतरे में थी. लेकिन अप्रैल में ही उसकी कंपनी सरकार की जॉब रि‍टेंशन स्कीम (नौकरी बचाओ सब्सिडी) में शामिल हो गई. पगार कुछ कटी लेकिन नौकरी बच गई.  बहुत नुक्सान...

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