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दिल्ली की हवा को जानलेवा बना रहे हैं ये खतरनाक तत्व

डाउन टू अर्थ, पोटेशियम, सिलिकॉन, एल्यूमीनियम, क्लोरीन और कैल्शियम जैसे तत्व दिल्ली की हवा को जानलेवा बना रहे हैं। यह जानकारी हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ सरे के ग्लोबल सेंटर फॉर क्लीन एयर रिसर्च (जीसीएआरई) द्वारा किए शोध में सामने आई है। जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम, नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली के सहयोग से किया गया है। दिल्ली की हवा में मौजूद हानिकारक तत्वों की उपस्थिति और...

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कोरोना काल में भारतीय महिलाओं को हो रही है सबसे अधिक परेशानी: रिपोर्ट

-डाउन टू अर्थ, नए शोध से पता चला है कि भारत में महिलाओं को कोरोनावायरस महामारी के दौरान पुरुषों की तुलना में बहुत अधिक नुकसान हुआ है। पहले से ही महिलाएं लिंग आधारित असमानताओं का सामना करतीं हैं, उसके ऊपर कोरोना ने इन्हें आर्थिक रूप से गरीबी में धकेल दिया है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के ग्लोबल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट की प्रोफेसर बीना अग्रवाल ने शोध के माध्यम से पाया कि महिलाओं को कोविड...

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पंचतत्व: विकास को संतुलन चाहिए और चैनलों को विज्ञान रिपोर्टर वरना ग्लेशियर ‘टूटते’ रहेंगे!

-जनपथ, इंसान होने के नाते हम सबकी कुछ ज़रूरतें हैं, जिन्हें पूरा किया जाना है. आखिर, उत्तराखंड, हिमाचल और ओडिशा की जनता को भी वही सुख-साधन क्यों नहीं चाहिए जो दिल्ली में रहने वालों को मुहैया हैं? विकास नाम के लुभावने वादे में निचाट गरीबी से निपटने की चुनौती छिपी है और इसमें संसाधनों के अंधाधुंध दोहन का खतरा भी है.  संतुलन साधा जा सकता है, बस नजरिया सही होना चाहिए. न...

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तीन-चौथाई जरूरतमंद परिवारों को सितम्बर 2020 में नहीं मिला मुफ्त राशन: सर्वे

-डाउन टू अर्थ, सितम्बर 2020 में तीन-चौथाई जरूरतमंद गरीब परिवारों को मुफ्त राशन नहीं मिला था, जबकि वो उसके पात्र थे। यह जानकारी अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी द्वारा किए सर्वेक्षण में सामने आई है। यही नहीं सर्वे के मुताबिक जन धन खाताधारकों में से 30 फीसदी पात्र खाताधारकों को उनके खाते में सहायता राशि नहीं मिली है। लॉकडाउन के बाद देश में रोजगार की स्थिति को समझने के लिए अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी ने...

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किसानों की आय दोगुनी करने का पीएम मोदी का वादा कैसे होगा पूरा?

-बीबीसी, लॉकडान के दौरान जब 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी 23.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत गिरी तो कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था को राहत देने वाला क्षेत्र था. लेकिन इससे भारत के अधिकतर किसानों की आमदनी पर कोई फर्क नहीं पड़ा. भारत के प्रधानमंत्री का साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा भी अब दूर का सपना ही लगता है. सरकार की नीतियों का असर क्या आगामी बजट में...

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