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राजद्रोह का चना जोरगरम-- चंदन श्रीवास्तव

फिल्म प्यासा का गीत है- ‘सर जो तेरा चकराये या दिल डूबा जाये', एक जगह तनिक छेड़ के साथ पात्र कहता है कि ‘लाख दुखों की एक दवा है क्यों ना आजमाये.' ऐसी दवा साहित्य के पन्नों में मिला करती है, लेकिन लगता है अब राजनीति ने भी यह दवा खोज निकाली है. सार्वजनिक महत्व के मसले पर राजनीतिक असहमति से उपजनेवाले तमाम दुख-दर्दों से छुटकारे की इस दवा का...

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देश में 10 हजार डॉक्टर और बढ़ेंगे, केंद्र सरकार लाएगी बिल-कुलस्ते

दौर। देश में हर साल 10 हजार नए डॉक्टर बढ़ेंगे। अभी हर साल मेडिकल की पढ़ाई करके 50 हजार डॉक्टर बनकर निकलते हैं, इसमें 10 हजार का और इजाफा होगा। इस तरह हर साल मेडिकल एजुकेशन संस्थानों से 60 हजार एमबीबीएस डॉक्टर तैयार होकर निकलेंगे। डॉक्टरों की सीटें बढ़ाने के लिए सरकार बिल लाने जा रही है। सोमवार को शहर आए केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते ने यह बताया। वे...

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गुजरात : दलितों का प्रदर्शन, कई लोगों ने की आत्महत्या की कोशिश..

राजकोट : 11 जुलाई को उना में चमड़ा उतारने के मामले में कुछ दलित युवकों को बेरहमी से पीटे जाने का मामला अब और अधिक गरमा गया है. इस मामले को लेकर दलितों से सोमवार को जोरदार प्रदर्शन किया, जबकि कई जगहों पर दलितों ने आत्महत्या का भी प्रयास किया. कथित गोहत्या के आरोप में अपने समुदाय के युवकों की बेरहमी से पिटाई के विरोध में दलित युवकों ने राजकोट...

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अपनी हदों में रहें तो ही बेहतर - शंकर शरण

इधर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच विवाद की खबरें लगातार आ रही हैं। वित्त मंत्री ने संसद में कहा न्यायपालिका इतना हस्तक्षेप कर रही है कि लगता है कार्यपालिका के पास बजट पास करने के सिवाय कोई काम नहीं बचेगा। न्यायपालिका हर बात में घुसपैठ करती रहती है। इसके बाद रक्षा मंत्री ने कहा कि न्यायाधीशों की कई टिप्पणियां बेमतलब होती हैं। इसके बाद एक और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी...

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डॉक्टर ने बदली तीन सौ गांवों की तस्वीर

भारतीय रेलवे के कर्मचारी देवराव कोल्हे के पुत्र रवींद्र नागपुर मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे थे। हर किसी को उनके डॉक्टर बनकर अपने गांव शेगाव लौटने का इंतजार था, लेकिन किसे मालूम था कि शहर में अच्छी प्रैक्टिस शुरू करने की बजाय रवींद्र एकदम उल्टी दिशा ही पकड़ लेंगे। वे महात्मा गांधी और विनोबा भावे की किताबों से बहुत प्रभावित थे। पढ़ाई पूरे होते-होते वे निश्चय कर चुके थे कि...

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