नील माधब पांडा की फिल्म कड़वी हवा 24 नवंबर को सिनेमाघरं में रिलीज हो रही है। फिल्म में रणवीर शौरी और संजय मिश्रा की दमदार परफॉर्मेंस है। यह फिल्म सामाजिक मुद्दों पर बनाई गई है इसलिए आपको इसमें मनोरंजन वाले मसाले देखने को नहीं मिलेंगे बल्कि फिल्म देखते समय आपको सच्चाई का वो आईना दिखाई देगा, जिससे जाने-अनजाने हम जी चुराते हैं। फिल्म की कहानी दो बड़े मुद्दों जलवायु में...
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कुप्रबंधन की थाली में फिर से न परोसा जाए पोषाहार!-- आशीष व्यास
'ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट 2016" के अनुसार मध्यप्रदेश की स्थिति बच्चों के कुपोषण-भूख के मामलों में चिंताजनक है। श्योपुर में कुपोषण से 2016 में 55 बच्चों की मौत हुई थी। इस साल भी तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। माना जाता है कि प्रदेश में सिर्फ 23 प्रतिशत बच्चे ही आंगनवाड़ियों में दर्ज हैं और इन्हीं के जरिए बच्चों के लिए पोषाहार की व्यवस्था की जाती है। पांच वर्ष...
More »शेल कंपनियां और भ्रष्टाचार की कहानी - 1/ हरिवंश
यह महज संयोग था, दक्षिण से दिल्ली लौटा था. शेल कंपनियां की खबरें, पहली बार पढ़ा-सुना. एक चार्टर्ड एकाउंटेंट मित्र से बुनियादी जानकारी ली. समझा. इस विषय को राज्यसभा में उठाने के लिए शून्यकाल में नोटिस दिया. दो-बार. अंतत: स्वीकृत हुआ. उपराष्ट्रपति जी (तत्कालीन) से मिल कर विषय का महत्व बताया. शायद, राज्यसभा में इस विषय पर तब यह पहली चर्चा थी. 22 मार्च 2017 को शून्यकाल में उसे उठाने...
More »मिलीजुली राजनीति में फंसा मोदी का अर्थशास्त्र--- शेखर गुप्ता
जोसेफ हेलर के प्रसिद्ध उपन्यास कैच-22 में लेफ्टिनेंट मायलो माइंडरबाइंडर का चरित्र खुद से कारोबार करके ख्याति अर्जित करता है। वह खुद से इस तरह कारोबार करता कि लेन-देने के चक्र में शामिल हर व्यक्ति को मुनाफा होता, जो अंतत: सरकार की जेब से ही आता है। वह किसी चीज की पूरी सप्लाई खरीद लेता जैसे एक गांव के सारे अंडे, टमाटर खरीद लिए और फिर अपनी ही फौजी यूनिट...
More »अर्थव्यवस्था को संजीवनी का मंत्र - डॉ. भरत झुनझुनवाला
सरकार की पुरजोर कोशिश है कि भारत वैश्विक विनिर्माण का गढ़ बन जाए। इसके लिए 'मेक इन इंडिया के तहत बहुराष्ट्रीय कंपनियों को देश में फैक्ट्रियां लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि रोजगार के अवसर सृजित हों और लोगों की आमदनी बढ़े। इस दिशा में सरकार ने दो महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। पहला कदम वित्तीय घाटे पर नियंत्रण का है। सरकार द्वारा आय से अधिक खर्च करने...
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