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भाषा, विरासत और जीवन बचाने की जद्दोजहद में दिल्ली के गड़िया लोहार

-कारवां  2012 में किरण सिंह सांखला छोटी थीं और सरकारी अधिकारियों ने उनके परिवार को पश्चिमी दिल्ली के अस्थाई घर से बेदखल कर दिया. उनके परिवार को पहले भी कई दफा अस्थाई आवास से बेदखल किया जा चुका था लेकिन यह बेदखली खास तौर पर सांखला के लिए बहुत दुश्कर थी. वह उस वक्त दसवीं कक्षा की परीक्षा दे रही थीं. इस बेदखली में उनकी कुछ किताबें गुम हो गईं और कुछ...

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उम्मीदें बजट 2020: कम बजट और उससे भी कम खर्च बिगाड़ रही देश में शिक्षा की स्थिति

उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर के सुदूर दक्षिण में स्थित प्राथमिक विद्यालय राउतपार अपने ब्लॉक का एक मात्र अंग्रेजी माध्यम का विद्यालय है। राज्य सरकार की कायाकल्प योजना के तहत इस विद्यालय को बाहर से बहुत सजाया-संवारा गया है, लेकिन इस स्कूल के छात्र कड़कड़ाती ठंड में टाइल्स पर बिछे टाट पर बैठने को मजबूर हैं क्योंकि विद्यालय में बेंच और डेस्क नहीं हैं। विद्यालय के एक अध्यापक ने...

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संविधान की अंतरात्मा और शिक्षा

“अगर संविधान पर ढंग से अमल होता तो सबको समान शिक्षा मिलती और गैर-बराबरी नहीं रहती, लेकिन सरकारों ने इसकी अवहेलना की, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ न केवल भटकाव बल्कि छलावा भी”   घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए, जवाब-दर-सवाल है के इंकलाब चाहिए! -शलभ श्री राम सिंह   हम भारत के लोग ने संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया था। आज लगभग 70 साल के बाद देश का शासक...

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आज विवेकानंद को नये कट्टर हिन्दूत्व के दार्शनिक योद्धा के रूप में बदल दिया गया है

दोनों हाथों को मोड़कर छाती से सटाये और नेपोलियन की तरह टकटकी लगाकर कठोर मुद्रा बनाये स्वामी विवेकानंद हिन्दू धार्मिक प्रथाओं में दमन देखकर मानसिक वेदना के कारण विक्षिप्तता की ओर बढ़ रहे थे।विवेकानंद को निजी प्रेरणा मानने वालों में नरेंद्र मोदी अकेले व्यक्ति नहीं है। मगर कोई यह बताने सक्षम नहीं दिखता कि उनकी कौन से विचार प्रेरणा देते हैं अथवा प्रभावित करते हैं। हिन्दू धर्म के प्रवृत्तियों को जानने...

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NRC को पूंजीवादी दृष्टि से भी देखा जाना चाहिए

एनआरसी को अभी तक सिर्फ़ कम्युनल और संवैधानिक दृष्टि से ही देखा गया है। एनआरसी पूंजीवादी के कितना काम आ सकता है, किस तरह काम आ सकता है इस पर भी एक नज़र डाल लेना चाहिए। क्योकि पूंजीवादी जब फासीवाद को अपना हथियार बना लेता है तो दमन और क्रूरता के सारे पुराने मापदंड टूट जाते हैं।इसे समझना हो तोलोकल इंटेलिंजेंस यूनिट के हवाले से लिखी गई अमर उजाला की...

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