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उत्तराखंड: हाथियों के गोबर में मिला प्लास्टिक, कांच व इंसान के इस्तेमाल की अन्य चीजें

न्यूज़लॉन्ड्री, 12 जुलाई पिछले कुछ वर्षों में, हिम तेंदुओं, बाघों, तेंदुओं और हिरणों सहित वन्यजीवों की खतरनाक तस्वीरें और रिपोर्टें आई हैं, जो कचरे के ढेर में अपना भोजन तलाश रहे थे या प्लास्टिक कचरा ले जा रहे थे द जर्नल फॉर नेचर कंजर्वेशन में पिछले महीने छपे एक अध्ययन में उत्तराखंड के जंगलों में हाथी के लीद में प्लास्टिक और अन्य मानव निर्मित सामग्री के मौजूद होने का पता चला है....

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हर साल नवंबर-दिसंबर में महंगा हो जाता है प्याज, सरकार मांग रही स्टोरेज का आइडिया, आप बता सकते हैं?

नवभारत टाइम्स, 10 जुलाई  सरकार ने पहली बार प्याज (Onions) से जुड़े बड़े चैलेंज (Grand Challenge) की घषणा की है। हमारे देश में हर साल नवंबर-दिसंबर में प्याज महंगा हो जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने बड़े चैलेंज की घोषणा की है। चैलेंज यह है कि प्याज की कमी की समस्या से निपटने के लिए प्राइमरी प्रोसेसिंग, स्टोरेज और मूल्य निर्धारण की तकनीक विकसित की जाए। कई...

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बदलती जलवायु से खतरे में पड़े एशिया के ऊंचे पहाड़ों की जलविद्युत परियोजनाएं: अध्ययन

डाउन टू अर्थ, 1 जुलाई  अध्ययन में 1960 के दशक से लेकर वर्तमान तक इस क्षेत्र के ग्लेशियरों तथा पर्माफ्रॉस्ट से जुड़े पर्वतीय खतरों से जलविद्युत को होने वाले नुकसान के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। हिमालय और इससे सटे पर्वत श्रृंखला या एशिया के ऊंचे पहाड़, ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर धरती के सबसे बड़े इलाकों में फैले बर्फ के पहाड़ों में से एक हैं।  इस क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी जलविद्युत...

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कोरोना महामारी के दौरान भारत में अन्य किसी देश की तुलना में सर्वाधिक मौतें हुईंः रिपोर्ट

-द वायर,  एक नए विश्लेषण के मुताबिक साल 2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में अनुमानित रूप से 40.7 लाख लोगों की मौत हुई. यह संख्या आधिकारिक तौर पर भारत में कोविड-19 से हुई मौतों से आठ गुना अधिक है. इस समय कोरोना वायरस संक्रमण से हुई आधिकारिक मौतों की संख्या पांच लाख से कुछ अधिक है. इस विश्लेषण के जरिये पहली बार दुनियाभर में कोविड-19 के दौरान अत्यधिक मौतों...

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कर्नाटक के नए पशुवध कानून से आती रोज़गार में कमी

-इंडियास्पेंड, तमाम परेशानियों के बावजूद शाहिद कुरैशी की सुरमा लगी आंखों में उम्मीदों के कुछ निशान अभी बाकी थे। यह जानते हुए भी कि वह अब कभी अपने पुराने काम पर नहीं लौट पाएंगे। पूर्वी बेंगलुरु के टेनरी रोड के बूचड़खाने में दशकों से उनके हाथ मांस के इस मुश्किल और मेहनत से भरे काम को अंजाम देते आ रहे थे। काम करते-करते उनकी हथेलियां सख्त और खुरदरी हो गईं हैं। ये...

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