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स्वायत्तता ही अकेला विकल्प-- हरिवंश चतुर्वेदी

हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्विटर के माध्यम से यह घोषणा की कि पांच केंद्रीय विश्वविद्यालयों, 21 राज्य विश्वविद्यालयों, 26 निजी विश्वविद्यालयों और 10 कॉलेजों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने स्वायत्तता दे दी है। इन 62 संस्थानों को यह स्वायत्तता शैक्षणिक गुणवत्ता के आधार पर दी गई, जिसके लिए उनको नैक, बेंगलुरु द्वारा मिले स्कोर को पैमाना बनाया गया है। अब ये संस्थान अपना...

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क्यों पिछड़ जाते हैं हमारे विश्वविद्यालय -हरिवंश चतुर्वेदी

वर्ष 2018 के लिए जो एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग सूची जारी हुई है, उससे भारत के लिए कुछ सुखद संकेत मिले हैं। 350 विश्वविद्यालयों की इस सूची में भारत के 42 विश्वविद्यालयों को इस बार स्थान मिला है। यह रैंकिंग जिन 13 आधार पर की गई है, उनमें 12 पर भारतीय विश्वविद्यालयों ने अपनी स्थिति बेहतर बनाई है। विश्व स्तर पर विश्वविद्यालयों की रैंकिंग ऐसा मुद्दा है, जिसके भारत जैसे विकासशील...

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युवा केंद्रित बजट से मिलेगी मजबूती-- वरुण गांधी

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के 2017 के आंकड़ों के अनुसार भारत में आधिकारिक रूप से 1.8 करोड़ बेरोजगार हैं, जिनमें अधिकांश युवा हैं. श्रम और रोजगार मंत्रालय की बीते साल की रिपोर्ट बताती है कि संगठित क्षेत्र में रोजगार, कुल रोजगार का सिर्फ 10.1 फीसद है, जबकि हमारे 60 करोड़ से अधिक कामगारों को असंगठित क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ है, जहां सीमित सामाजिक सुरक्षा मिलती है और न्यूनतम वेतन का...

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पर्याप्त सरकारी मदद के जरिये ही पहुंच सकती हैं सभी तक स्वास्थ्य सेवाएं

भारत के विशाल और विविध भू-भागों में रहने वाली आबादी तक समुचित स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती रही है. इसमें बड़ी कमी सरकारों की रही है, जो अपने कुल बजट का महज एक फीसदी तक हिस्सा ही सार्वजनिक स्वास्थ्य मद में खर्च करती रही है. स्वास्थ्य क्षेत्र के समूच परिदृश्य समेत इससे संबंधित अन्य पहलुओं को इंगित कर रहा है आज का वर्षारंभ ... अनंत कुमार एसोसिएट प्रोफेसर,...

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विज्ञापन, समाज और कानून--- महेश तिवारी

प्रौद्योगिकी के विकास के साथ देश के भीतर विज्ञापनों की बाढ़-सी आ गई है। विज्ञापनों के द्वारा कंपनियां अपने उत्पाद के प्रति लोगों को रिझाने और आकर्षित करने के चक्कर में उपभोक्ताओं के प्रति अपने कर्तव्य और नैतिक जिम्मेदारियों से दूर हटती जा रही हैं। अपने उत्पाद के प्रचार के लिए कंपनियां मनोरंजन और खेल की दुनिया के सितारों को पेश करती हैं, ताकि लोग उनके सम्मोहन के प्रभाव में...

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