-डाउन टू अर्थ, हाल ही में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा किए अध्ययन से पता चला है कि ब्लैक कार्बन की वजह से समय से पहले मृत्यु हो सकती है। यही नहीं, ब्लैक कार्बन का इंसान के स्वास्थ्य पर अनुमान से कहीं ज्यादा बुरा असर पड़ता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह अध्ययन भविष्य में वायु प्रदूषकों और उससे जुड़े मृत्युदर के बुझ का अधिक सटीक...
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सुंदरवन से निकला 10 टन प्लास्टिक, अभी सफाई जारी
-डाउन टू अर्थ, यास चक्रवात के बाद सुंदरवन के प्रभावित लोगों तक राहत सामग्रियां पहुंचाने के लिए कई एनजीओ आगे आये और उनकी तरफ से भोजन से लेकर पानी तक पहुंचाया गया। लेकिन इस राहत अभियान ने सुंदरवन के इको-सिस्टम पर भी बहुत असर डाला है। सुंदरवन की नदियां-तालाब व जमीन प्लास्टिक के बोतल, फुड पैकेट्स, पाउच आदि से भर गये। सुंदरवन का इलाका पश्चिम बंगाल के उत्तर व दक्षिण 24 परगना...
More »पंचतत्व: एक ऋषि की प्यास बुझाने जो नदी आयी थी, आज वो खुद प्यासी है
-जनपथ, बुंदेलखंड का पवित्र शहर है चित्रकूट, जिसके नाम के साथ बहुत सारे ऋषि-मुनियों और खासतौर पर भगवान राम और सीता का नाम जुड़ा है. रामायण की कथा का जिक्र आये तो चित्रकूट और मंदाकिनी नदी का जिक्र न आये, ऐसा हो नहीं सकता. मंदाकिनी के तट पर ही तुलसीदास ने मानस लिखा, भगवान राम ने अपने वनवास का लंबा वक्त यहां गुजारा और मान्यता यह भी है कि ऋषि अत्रि...
More »तमाम योजनाओं और करोड़ों रुपये ख़र्च होने के बावजूद गंगा अगर साफ़ नहीं, तो ज़िम्मेदारी किसकी है
-द वायर, कोरोना महामारी के इस दौर में वाराणसी शहर के ज्यादातर घाटों पर अत्यधिक मात्रा में पाए गए हरे शैवाल ने भारत सरकार के गंगा स्वच्छता के नारे एवं परियोजना की पोल खोल दी है और तमाम सरकारी दावे धरे के धरे रह गए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि कहीं यह गंगा के विलुप्त होने का संकेत तो नहीं है? ऐसे में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि भारत सरकार के द्वारा गंगा पुर्नरुद्धार के नाम...
More »प्रदूषण से न नदियां बचीं और न भूजल
-डाउन टू अर्थ, हमारे अहम सतही जलस्रोतों का 90 प्रतिशत हिस्सा अब इस्तेमाल करने के लायक नहीं बचा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अलग अलग राज्यों की प्रदूषण निगरानी एजेंसियों के हालिया विश्लेषण ने इसकी पुष्टि की है। साल 2015 में वाटर ऐड की एक रिपोर्ट जारी हुई थी, जो शहरी विकास मंत्रालय, जनगणना 2011 और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर आधारित थी। इस रिपोर्ट में कहा...
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