SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 2999

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशवासियों के नाम लिखी चिट्ठी पढ़िए

आज से एक साल पहले भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ा. देश में दशकों बाद पूर्ण बहुमत की किसी सरकार को लगातार दूसरी बार जनता ने ज़िम्मेदारी सौंपी थी. इस अध्याय को रचने में आपकी बहुत बड़ी भूमिका रही है. ऐसे में आज का यह दिन मेरे लिए, अवसर है आपको नमन करने का, भारत और भारतीय लोकतन्त्र के प्रति आपकी इस निष्ठा को प्रणाम करने...

More »

चंदेरी साड़ियां बुनने वाले 5 हजार हैंडलूम लॉकडाउन, 10 हजार से ज्यादा बुनकर बेरोजगार

-गांव कनेक्शन,  चंदेरी की मशहूर साड़ियां बुनने वाली भावना कोली के पास दो हैंडलूम हैं,लेकिन आजकल उनमें साड़ियां नहीं बुनी जाती। हथकरघे पर चिप्स के पैकेट टंगे रहते हैं, कमरे की बाकी जगह में परचून का सामान दिखता है। दो महीने से हैंडलूम का काम बंद होने के बाद उन्होंने घर चलाने के लिए अपने जनरल स्टोरी की दुकान को बढ़ा लिया है। लॉकडाउन के चलते पिछले 02 महीनों में अपनी...

More »

लाइफ लाइन बनी डेंजर लाइन, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 48 घंटे में नौ लोगों की मौत

-न्यूजक्लिक,  ‘देश की लाइफ लाइन’ कहे जानी वाली भारतीय रेल फिलहाल प्रवासी मज़दूरों की सुरक्षित घर वापसी में एक चुनौती बनी हुई है। कभी रास्ता भटक जाना तो कभी यात्रा के दौरान हो रही मौतें लगातार रेल प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। ख़बरों के मुताबिक लगभग 40 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें अपने गंतव्य स्थान की बजाय कहीं और पहुंच गई तो वहीं पिछले 48 घंटों में इन ट्रेनों में...

More »

गिर रही थी मोदी 2.0 की साख, कोविड-19 के कारण मिली राहत की सांस

-द क्विंट, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक साल मौन धूम धड़ाके के साथ पूरा हो रहा है, क्योंकि कोविड-19 महामारी ने इसकी मिश्रित कामयाबियों के दंभ को सीमित कर दिया है. कोरोना वायरस संकट से निपटने में सरकार ने जो अक्षमता, संवेदनहीनता और तानाशाही दिखाई है, और सरकारी उपेक्षा और अव्यवस्था के बीच लाखों की तादाद में अपने घर लौटते प्रवासी मजदूरों ने जो दर्दनाक पीड़ा झेली...

More »

इंटरव्यू / सरकार को लॉकडाउन से पहले प्रवासी मजदूरों को घर भेजना चाहिए था, रिवर्स माइग्रेशन से अब वे देर से लौटेंगे, लेकिन लौटेंगे जरूर: प्रो. चिन्मय तुंबे

-भास्कर, दुनियाभर में माइग्रेशन के लिए चर्चित किताब ‘इंडिया मूविंग: अ हिस्ट्री ऑफ माइग्रेशन’ के लेखक और आईआईएम अहमदाबाद में प्रोफेसर चिन्मय तुंबे से इस वक्त कई राज्य सरकारें माइग्रेंट्स को लेकर पॉलिसी मेकिंग में एडवोकेसी-कंस्लटेंसी ले रही हैं। तुंबे का मानना है कि कोविड-19 के चलते बेशक दुनियाभर में लॉकडाउन हुआ, लेकिन पूरी दुनिया में माइग्रेंट्स के साथ ऐसा बुरा कहीं नहीं हुआ, जैसा भारत में हुआ। माइग्रेशन के विभिन्न पहलुओं...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close