दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब यूरोप की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई, उस समय उद्योगों को मूलमंत्र मानकर विकास की रूपरेखा तैयार की गई। इसी समय दो बड़े परिवर्तन भी हुए। पहला, विकास की परिभाषा इस तरह गढ़ दी गई, जिसका सीधा-सीधा मतलब था कि उद्योग और उससे जुड़े तमाम आयामों को ही विकास मान लिया जाए। दूसरा, इसके बाद ही भोगवादी सभ्यता का चलन बढ़ा। अपने देश ने भी स्वतंत्रता के बाद...
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पहले थी सूखे की आशंका, अब किसान चाह रहे बारिश पर ब्रेक
रायपुर। जून में बारिश की कमी ने सूखे की आशंका बढ़ा दी थी, लेकिन जुलाई की बारिश ने इस आशंका को न सिर्फ खत्म कर दिया है, बल्कि अब किसान बारिश में ब्रेक चाहते हैं। अब आलम यह है कि खेतों में पानी भरा हुआ है और किसान पानी निकाल नहीं पा रहे। मौसम और कृषि विभाग का कहना है कि अब कम से कम एक हफ्ते बारिश...
More »बहुत कठिन है स्कूल तक की डगर- पंकज चतुर्वेदी
तेलंगाना के मेडक जिले में एक स्कूल बस के ट्रेन से भिड़ जाने के कारण 14 बच्चों की मौत ने देश को हिला दिया है। लेकिन यह ऐसी पहली खबर नहीं है। अभी जुलाई के पहले सप्ताह में ही राजधानी दिल्ली में बच्चों को स्कूल ले जा रही एक आरटीवी दुर्घटनाग्रस्त हो गई और वाहन का चालक घायल बच्चों को छोड़ भाग गया। इसी क्रम में सितंबर 2010 की राजधानी...
More »जिलों में 20 % से भी कम बारिश
पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और कैबिनेट मंत्रियों ने शुक्रवार की शाम राज्य में सूखे की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली. बैठक में उन्हें बताया गया कि राज्य के 23 जिलों में 20 प्रतिशत से कम बारिश हुई है. इनमें पांच ऐसे जिले हैं, जहां अब तक 50 प्रतिशत से भी कम बारिश हुई है. यह भी बताया गया कि केंद्रीय प्रावधान के अनुसार 15 अगस्त तक जिलों में...
More »उत्तराखंड में बिजली परियोजनाएं गंगा के लिए खतरा - मदन जैड़ा
सेंटल इलेक्ट्रिीसिटी अथॉरिटी (सीईए) और उत्तराखंड सरकार द्वारा गंगा पर प्रस्तावित यदि 70 बिजली परियोजनाओं का निर्माण हुआ तो गैर मानसून सीजन में गंगा एक नाले में तब्दील हो जाएगी। कई खंडों में नदी पूरी तरह से सूख जाएगी। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) के अध्ययन में यह बात सामने आई है। सीएसई के अनुसार उत्तराखंड में नौ हजार मेगावाट की 70 छोटी बड़ी-परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। हालांकि अभी इन्हें पर्यावरण...
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