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ये बेहाल सूरतें लेकिन गहरी नींद में है समाज

छपरा [कृष्णकांत]। 'खिलौना जान कर तुम तो मेरा दिल तोड़ जाते हो..।' बहुत दुश्मन दौर के गहरे धंसी टीस का बेतरतीब बयान है यह गीत- फिल्म 'खिलौना' का। गाना मशहूर अभिनेता स्व. संजीव कुमार पर फिल्माया गया था-जो अब रीयल लाइफ में भी कई ऐसे लोगों पर घट रहा है, जिनकी रातें बेचैनियों में कटीं। वे सुखिया नहीं है कि खाते और सोते। दुखिया है इसलिए कि जाग गये, जान गये। अब रो-रो कर असहज...

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नौ की लकड़ी और नब्बे खर्च

लखनऊ, 21 दिसम्बर : रोडवेज प्रशासन के खेल भी निराले हैं। पहले तो अपने यहां तैयार होने वाली बसों को खारिज किया। फिर वर्कशॉप में 13 से 14 लाख की लागत में बनने वाली एसी बस 27 लाख में खरीदी। अब उन्हीं बसों को नॉन एसी में बदलने के लिए करीब साठ लाख रुपये खर्च किया जा रहा है। अब इससे जनता की गाढ़ी कमाई बेकार जाती रहे तो जाए, अधिकारियों की सेहत पर...

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प्रदूषण मुक्त राज्य का मास्टर प्लान मार्च तक होगा तैयार : धूमल

धर्मशाला : मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा है कि राज्यों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए अगले वर्ष मार्च तक राज्य मास्टर प्लान तैयार कर लिया जाएगा। प्रदेश सरकार राज्यों को कार्बन न्यूट्रल मुक्त राज्य बनाने के लिए पूरी तरह कृतसंकल्प है। धर्मशाला में शीघ्र पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय आरंभ कर दिया जाएगा जिससे क्षेत्र के लोग लाभान्वित हो सकें। मुख्यमंत्री यहां राज्यस्तरीय पालीथीन हटाओ पर्यावरण बचाओ अभियान के शुभारंभ अवसर पर बोल...

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बीटी बैंगनः लड़ाई अब अंतिम दौर में

देश में बीटी बैंगन उगाने की अनुमति को लेकर बहस अब तेज हो गई है। बहुराष्ट्रीय कंपनी मोनसांटो और उसकी भारतीय साझेदार मायको इसकी तरफदारी कर रही हैं। तो स्वयंसेवी संस्थाएं व स्वतंत्र वैज्ञानिक इसका विरोध। दावों और विरोध का आधार क्या है? वैज्ञानिक सबूत क्या हैं? ऐसे में बीटी कॉटन का पिछले आठ साल का प्रदर्शन ही क्या बीटी बैंगन को उगाने की अनुमति का आधार हो सकता है? गुजरात: बीटी कॉटन से छाई खुशहाली बीटी...

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कितना भूखा है मध्यप्रदेश: शिरीष खरे

झाबुआ, मध्यप्रदेश: कुपोषण ने दो दर्जन से ज्यादा बच्चों को निगला है- यह हाल आदिवासी जिले झाबुआ का है, जहां मेघनगर ब्लाक के अगासिया और मदारानी गांवों में बच्चों की मौत का सिलसिला है कि टूटता ही नहीं। फिलहाल पूरा मध्यप्रदेश ही इतना भूखा है कि यहां न जाने क्यों भूख का नामोनिशान है कि मिटता ही नहीं ?केवल अक्टूबर में ही झाबुआ के इन 2 गांवों से 25 बच्चों...

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