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यहां साल वृक्षों में रोज छोड़ी जा रही 400 तितलियां, जानिए क्यों

जगदलपुर । बस्तरवासी कोसा को रुपए का दूसरा रूप मानते हैं इसलिए इन दिनों कुरंदी और चितापदर के साल जंगल में दो प्रगुणन केन्द्र बना कर यहां टांगे गए एक लाख कोसा से निकलने वाली तितलियों को साल वृक्षों में छोड़ रहे हैं। इन तितलियों से ग्रामीणों को लगभग पांच लाख कोसा प्राप्त होगा। जिसे बेच कर वे मोटी रकम एकत्र करेंगे। इधर अत्यधिक कोसा दोहन से विश्व प्रसिध्द रैली कोसा...

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पशुपालन से टूटता मोह--- रीता सिंह

यह चिंताजनक है कि कृषि प्रधान देश भारत में पशुपालन के प्रति लोगों की अरुचि बढ़ती जा रही है। मवेशियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। आजादी के बाद से 1992 तक देश में मवेशियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। लेकिन उसके बाद इनकी संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। 2007 में पशुओं की संख्या में मामूली वृद्धि हुई थी लेकिन उसके बाद इनकी...

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किसानों पर भारी पड़ी तंत्र की लापरवाही, फसल बीमा ही नहीं मिला

भोपाल। प्रदेश में पिछले साल खराब हुई खरीफ फसलों के लिए हजारों किसानों को पात्र होते हुए भी प्रधानमंत्री फसल बीमा नहीं मिल पाया। सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते प्रभावित किसानों का फसल बीमा दावा ही नहीं बन पाया। दरअसल, राजस्व अधिकारियों ने फसल के बोए क्षेत्र और बीमित क्षेत्र का डाटा दर्ज करने में लापरवाही बरती। नतीजा यह हुआ कि बीमा कंपनियों में इनके दावे ही प्रस्तुत नहीं हो...

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मंदी में भी अमीर हुए और अमीर, मुकेश अंबानी फिर शीर्ष पर

नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी लगातार 10वें साल भारत के कुबेर बने हुए हैं। उनकी कुल संपत्ति बढ़कर 38 अरब डॉलर हो गई है। पिछले एक साल में उनकी संपत्ति 67 फीसदी बढ़ी और इसके साथ ही वह एशिया के पांच शीर्ष रईसों में शुमार हो गए। वहीं देश में आर्थिक मंदी के दावे के बाद भी 100 शीर्ष अमीरों की संपत्ति में 26 फीसदी का इजाफा हुआ...

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ऑटोमेशन से रोजगार घटने की बात को अरविंद पानगड़िया ने नकारा

नई दिल्ली। दुनियाभर में ऑटोमेशन की वजह से रोजगार पर संकट खड़ा होने की बात उठ रही है, मगर भारत के शीर्ष अर्थशास्त्री अरविंद पानगड़िया इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलते हुए कहा कि संरक्षणवाद की नीति से वैश्विक अर्थव्यवस्था को कोई नुकसान नहीं है।   निर्यात बाजार करीब 22 लाख करोड़ डॉलर (करीब 1,441 लाख करोड़ रुपये) का है। यह इतना विशाल बाजार है कि संरक्षणवाद से...

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