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नदियों के सूबे में पेयजल का संकट- महिपाल कुंवर(तहलका)

उत्तर भारत की अधिकांश बारहमासी नदियों का उद्गम स्थल होने के बावजूद उत्तराखंड में गर्मी का मौसम शुरू होते ही पेयजल संकट पैदा हो गया है. इससे ग्रामीण के साथ-साथ शहरी इलाकों के लोग भी जूझ रहे हैं. देहरादून से महिपाल कुंवर की रिपोर्ट पिछले साल पर्याप्त बारिश और बर्फबारी के बावजूद भी उत्तराखंड की कई बस्तियां बढ़ती गर्मी में पानी के लिए तरस रही हैं. उत्तराखंड उत्तर भारत की अधिकांश...

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अकाल, भुखमरी इस देश में कई समुदायों की जीवनसाथी है- विनायक सेन से आशीष कुमार अंशु की बातचीत

विनायक सेन को लेकर मीडिया और समाज में दो तरह की छवि है। एक विनायक सेन, जिन्हें हमेशा देश के दुश्मन के तौर पर पेश किया जाता है, दूसरे विनायक सेन वे जो आदिवासियों के शुभचिंतक हैं और गरीब समाज के मसीहा हैं। दोनों विचार अतिवादी हैं। इस तरह एक आम भारतीय असमंजस की स्थिति में है कि वह इन दोनों में से किसे सच माने और किसे झूठ! यदि हम मीडिया की नजर...

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सार्वजनिक होगा सिंगूर समझौता - मुख्यमंत्री का एलान

समझौते से संबंधित कागजातों का अध्ययन कर रहे हैं उद्योग मंत्री : टाटा की ओर से आपत्ति जताने से राज्य सरकार का कोई लेना-देना नहींटाटा द्वारा निवेश करने की पहल का स्वागत करेगी राज्य सरकारसरकार चाहती है राज्य में उद्योग व कृषि, दोनों का हो तेजी से विकासनदी कटाव व सूखे से निपटने के लिए भी बनेगा मास्टर प्लानबीइ, जेयू व आइआइटी खड़गपुर के विशेषज्ञों की कमेटी देगी सलाहजल संरक्षण के...

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70 गरुड़ एक गांव में

भागलपुर : पूरी दुनिया में गरुड़ों की संख्या तेजी से घटी है, लेकिन भागलपुर के सिर्फ दो गावों में 70 गरुड़ों की लगातार उपस्थिति से आम जन चकित हैं. पर्यावरण कार्यकर्ताओं में खुशी है. लगता है, दुर्लभ प्रजाति के इस पक्षी को कोसी दियारा क्षेत्र की आबोहवा पसंद आ गयी है. इस क्षेत्र में विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके गरुड़ (ग्रेटर ऐजटेंट स्टोर्क) तेजी से प्रजनन कर रहे...

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फ़िर दांव पर कोसी वासियों का जीवन

सुपौल : सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, पूर्णिया, कटिहार के लोगों को फ़िर से कोसी के कहर का डर सताने लगा है. कारण भारत-नेपाल के अधिकारियों के बीच मीटिंग का लंबा दौर पर पायलट चैनल का निर्माण नहीं हो सका. अगस्त 2008 की कोसी त्रासदी से बचने के लिए सुझाये तो गये पर उपाय अस्थायी साबित हो रहे हैं. कोसी को नियंत्रित करने के लिए 1955 में वीरपुर से कोपड़िया तक 125 किलोमीटर तथा...

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