रह्मपुत्र और सुबनसिरी जैसी विशाल नदियों के बीच बसा असम का लखीमपुर जिला पहली नजर में खुशहाल इलाका दिखता है. ढलानों पर पसरे चाय-बागान, दूर तक फैले धान के खेत और पानी से लबालब सैकड़ों तालाब. लेकिन सतह को थोड़ा ही कुरेदने पर इस खुशनुमा तस्वीर के पीछे की भयावह सच्चाई दिखती है. पता चलता है कि बागानों में चाय की पत्तियां तोड़ते मजदूरों और पानी में डूबे खेतों में...
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बदलना होगा गरीबी तय करने का तरीका: मोंटेक
नई दिल्ली। गरीबी रेखा की नई सीमा के अनुमान केंद्र सरकार के गले की हड्डी बन गए हैं। गांवों में 27 और शहरों में 33 रुपये से ज्यादा खर्च करने वालों को गरीब न बताने वाले आंकड़े की चारों ओर हो रही फजीहत के बीच योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने स्वीकारा है कि गरीबी की सीमा तय करने का फॉमरूला अजीब है। इसे नए सिरे से तैयार करने की...
More »कौशल विकास से दूर होगी युवाओं की बेरोजगारी
दिलीप एम चिनॉय राष्ट्रीय स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के मैनेजिंग डॉयरेक्टर और चीफ एक्जक्यूटिव ऑफिसर हैं. देश में युवाओं के कौशल विकास की स्थिति, बिहार-झारखंड में कौशल विकास के कार्यक्रम, पंचायत की भागीदारी आदि बिंदुओं पर पेश है पंचायतनामा के लिए संतोष कुमार सिंह से उनकी बातचीत के प्रमुख अंश : किसी भी युवा की जिंदगी में कौशल का क्या योगदान है? राष्ट्रीय कौशल विकास संस्थान किस तरह से युवाओं के कौशल विकास...
More »लाह की खेती से बेड़ाडीह में आयी खुशहाली
रांची के नामकुम प्रखंड की हहाप पंचायत का घने जंगलों के बीच बसा बेड़ाडीह गांव के लोग पहाड़ी-पथरीली भूमि पर थोड़ी-बहुत खेती कर व कुछ वनोपज तैयार कर अपनी जीविका चलाते रहे हैं. अन्य वनोपज की तरह वे लाह का भी उत्पादन करते रहे हैं, लेकिन तकनीक व वैज्ञानिक सोच के अभाव में ग्रामीणों में इससे आर्थिक समृद्धि नहीं आयी. किसी तरह लोग अपना गुजर-बसर कर लेते थे. पर, नामकुम...
More »ये तो अधर्म की मूर्तियां हैं!- डा भरत झुनझुनवाला
उत्तराखंड में आयी विभीषिका में विद्युत परियोजनाओं की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं. केदारनाथ में मंदाकिनी नदी बहती है. फाटा व्यूंग और सिंगोली भटवाड़ी नाम से केदारनाथ के नीचे इस नदी पर दो विद्युत परियोजनाएं बन रही हैं. प्रत्येक में 15-20 किमी की सुरंगें पहाड़ में खोदी जा रही हैं. इन सुरंगों को बनाने में भारी मात्र में डायनामाइट का प्रयोग किया गया है. इनके धमाकों से पहाड़ दरक...
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